लखनऊ। 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती के दिन यूपी के देवरिया में दिल दहलाने वाली वारदात को अंजाम दिया गया। इस घटना के बारे में सुनकर लोगों सहम गये हैं। देवरिया के फतेहपुर गांव में जमीन विवाद के कारण 6 लोगों की हत्या हो गई। अभी फतेहपुर गांव का लेहड़ा टोला पुलिस छावनी में बदला हुआ है। शहर से लेकर गांव तक चप्पे-चप्पे पर पुलिस दल मौजूद है। राजधानी लखनऊ से आये डीजी स्पेशल प्रशांत कुमार और प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद निरीक्षण कर वापस लौट चुके हैं लेकिन गांव में मातम पसरा हुआ है। आइये जानते है क्या है देवरिया नरसंहार की पूरी कहानी:
जानिए हमले के पीछे की कहानी
सोमवार सुबह 6 बजे का वक़्त था। गांव के ही प्रेम यादव अपने बाइक से अकेले सत्यप्रकाश दुबे के घर पहुंचे हुए थे। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि दोनों के बीच कहासुनी हुई, जिसके बाद प्रेम यादव की हत्या करके उनकी लाश बाहर फेंक दी गई। प्रेम यादव को बचाने के लिए गांव के ही दो युवक आये लेकिन सत्यप्रकाश दुबे ने उसे भी भगा दिया और परिवार संग जान से मारने की धमकी भी दी। उक्त युवकों ने इस मामले की जानकारी प्रेम यादव के परिवार को दी। जिसके बाद 20 मिनट भी नहीं हुए कि कुछ लोग हाथ में लाठी-डंडा, धारदार हथियार और बंदूक लिए लेहड़ा टोला पहुंच गये। उन्होंने सत्यप्रकाश दुबे और उसके परिवार पर धावा बोल दिया।
घर के बाहर पुलिस बैरिकेडिंग
हमला करने आये लोग इतने आक्रामक थे कि उन्होंने सत्यप्रकाश और उनकी पत्नी के साथ-साथ परिवार में मौजूद तीन बच्चों को भी बेरहमी से मार डाला। इसके बाद 8 साल के बच्चे को मरा हुआ समझकर छोड़कर चले गये। बच्चा बीआरडी अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहा है। सीएम योगी आज घायल बच्चे से मिलने अस्पताल पहुंचे और उन्होंने बेहतर उपचार के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए। वहीं सत्यप्रकाश दुबे के घर को पुलिस ने सील कर दिया है। घर के बाहर बैरिकेडिंग कर दी गई है। इस घटना को लेकर गांव के लोगों का कहना है कि झगड़े का जड़ सत्यप्रकाश दुबे का छोटा भाई ज्ञानप्रकाश उर्फ़ साधू दुबे है। सारा विवाद जमीन से जुड़ा हुआ है।
9 बीघा जमीन बना नरसंहार की जड़
लेहड़ा निवासी स्व. जर्नादन दुबे के तीन बेटे थे- ओमप्रकाश दुबे, सत्यप्रकाश दुबे और सबसे छोटा ज्ञान प्रकाश उर्फ साधू दुबे। जनार्दन दुबे के निधन के बाद उनके हिस्से का 18 बीघा जमीन और मकान तीनों बेटों में बांटा गया। साल 2008-2009 में सबसे बड़े भाई ओम प्रकाश की मौत हो गई। जिसके बाद सत्यप्रकाश और ज्ञान प्रकाश के रिश्ते में खटास पैदा हो गई। ज्ञान प्रकाश नौकरी करने गुजरात चला गया। वहीं ओम प्रकाश की मौत के बाद 18 बीघा जमीन दोनों भाइयों में बांटी गई। साल 2014 में ज्ञान प्रकाश दुबे ने अपनी जमीन प्रेम यादव को बीच दी। बैनामा कराने के बाद प्रेम यादव उसमें खेती कर रहे थे। यह बात सत्य प्रकाश को हजम नहीं हुई और इसे लेकर कोर्ट में केस किया गया। एक साल पहले पुलिस और राजस्व टीम की उपस्थिति में विवादित जमीन का पैमाइश भी हुआ था।
पहली बार सत्यप्रकाश के घर पहुंचे थे प्रेम यादव
गांव के लोगों के मुताबिक पहले सत्यप्रकाश दुबे का प्रेम यादव से अच्छे संबंध थे। बाद में जमीन विवाद के बाद दोनों के बीच दूरियां बढ़ गई और दोनों भाइयों सत्यप्रकाश और ज्ञान प्रकाश में भी रिश्ते बिगड़ गये। वहीं दूसरी तरफ गांव के लोग ये भी कहते हैं कि प्रेम यादव कभी सत्यप्रकाश के घर नहीं जाते थे लेकिन 2 अक्टूबर को अकेले सत्यप्रकाश के घर पहुंचना लोगों को हजम नहीं हो रहा है। बताया जाता है कि सत्यप्रकाश के दरवाजे पर पहुंचकर प्रेम यादव ने गाली-गलौज करनी शुरू कर दी। जिसपर सत्यप्रकाश और उनकी पत्नी ने उनपर हमला कर दिया। पूरे परिवार ने प्रेम यादव को इतना पीटा कि मौके पर ही उनकी मौत हो गई। जिसके बाद दूसरे पक्ष के लोगों ने आक्रोशित होकर सत्यप्रकाश समेत 5 लोगों की हत्या कर दी।