लखनऊ: यूपी के संगमनगरी प्रयागराज में कुछ माह बाद महाकंभु मेला लगने वाला है। देश-विदेश से यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने आएंगे। वहीं कुंभ के मेले में सभी की निगाहें नागा साधुओं पर रहती हैं। शरीर पर भस्म, मस्तिक पर चंदन, सिर पर बालों की जटाएं, हाथों में त्रिशूल और आंखों में आग के समान ज्वलन ये सभी चीज नागा साधुओं की अपनी एक पहचान बयां करती है। महाकुंभ के पवित्र दिनों में यह नागा साधु संगम में शाही डुबकी लगाते है और फिर अपने गंतव्य स्थान की ओर निकल पड़ते हैं।
मन में आते हैं सैकड़ों सवाल
नागा साधु कौन हैं? नागा साधु कहां रहा करते हैं? नागा साधु की उत्पति कैसे हुई? इनकी 108 डुबकियों का क्या रहस्य है? बिना वस्त्रों के नागा साधु 0 डिग्री सेल्सियस पर कैसे रह लेते हैं? बता दें कि नागा साधुओं की दुनिया रहस्यमयी है। इसके बारे में शायद ही किसी को पूरी जानकारी होगी। तो ऐसे में आइए आज हम जानेंगे नागा साधुओं से जुड़ी कुछ खास बातें।
नागा साधु कौन होते हैं?
नागा साधु बनने के लिए लोगों को कठिन तपस्या करनी पड़ती है। इस तपस्या को पूरा करने में 6 से 12 वर्ष का समय लगता है। इस दौरान नागा साधुओं को कड़ी परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है। उनके शारीरिक ब्रह्मचर्य के साथ-साथ उनके मानसिक नियंत्रण का भी परीक्षण किया जाता है। इस दौरान नागा साधुओं को अपने गुरु और वरिष्ठ साधुओं की सेवा करनी होती है।
खुद का करते है पिंडदान और श्राद्ध
पिंडदान और श्राद्ध भी नागा साधुओं की तपस्या का हिस्सा हैं। परीक्षा के सभी चरणों को पार करने के बाद नागा साधुओं को अपना पिंडदान और श्राद्ध स्वयं ही करना होता है। इसके बाद उन्हें उनके परिवार और दुनिया के लिए मृत मान लिया जाता है। ऐसे में नागा साधुओं का अपनी पुरानी जिंदगी से कोई नाता नहीं रहता और वे अघोरी के रूप में नई जिंदगी की शुरुआत करते हैं।
तपस्या के दौरान त्यागना पड़ता है वस्त्र
नागा साधु केवल तपस्या के दौरान ही अपने वस्त्र त्यागते हैं। नागा साधु चाहें तो केसरिया रंग के बिना सिले हुए वस्त्र भी पहन सकते हैं। लेकिन ज्यादातर नागा साधु बिना कपड़ों के ही रहते हैं। साथ ही, उन्हें श्रंगार के रूप में अपने शरीर पर केवल राख मलने की अनुमति होती है। इसके अलावा नागा साधु रुद्राक्ष और जटा भी धारण करते हैं।
नागाओं का अलग संस्कार
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नागा साधुओं की तपस्या पूरी होने के बाद एक अलग तरह का संस्कार भी किया जाता है। इसमें उनके यौन अंग विलीन हो जाते हैं। जिससे नागा साधुओं की कामुक इच्छाएं खत्म हो जाती हैं और वे जीवन भर ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं।
किस जगह रहते हैं नागा साधु?
मान्यताओं के अनुसार नागा साधु हिमालय की गुफाओं या एकांत स्थानों में रहना सही समझते हैं। नागा साधु आम लोगों से दूर शांत और एकांत जगह पर रहकर भगवान का ध्यान करते हैं। वह सिर्फ कुंभ के दौरान शाही स्नान के लिए सार्वजनिक स्थानों पर दिखते हैं. नागा साधु भिक्षा पर अपना जीवन यापन करते हैं। वह दिन में केवल एक बार ही खाना खाते हैं। इसके अलावा उन्हें बिस्तर पर सोने से भी मना किया जाता है। नागा साधु सिर्फ जमीन पर ही सो सकते हैं।