Friday, November 22, 2024

रात में अकेले मिलने के लिए बुलाते हैं…, महिला जज ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस से मांगी इच्छामृत्यु

लखनऊ।यूपी के बांदा में तैनात सिविल जज अर्पिता साहू ने सुप्रीम कोर्ट से इच्छा मृत्यु की मांग की है। इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है। साथ ही उसमें कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि इसको लिखने का उद्देश्य मेरी कहानी बताने और प्रार्थना करने के अलावा कुछ और नहीं है।

शारीरिक मानसिक शोषण का आरोप

उन्होंने पत्र के माध्यम से कहा है कि मैं बहुत उत्साह के साथ न्यायिक सेवा में शामिल हुई। सोचा कि आम लोगों को न्याय दिलवाऊंगी। लेकिन मुझे क्या पता था कि न्याय के लिए हर दरवाजे का भिखारी बनना पड़ेगा। मुख्य न्यायाधीश को संबोधित पत्र में उन्होंने लिखा कि काफी निराश मन से कहना पड़ रहा है कि उनका शारीरिक और मानसिक शोषण हुआ है।

ये है मामला

उन्होंने ऐसा आरोप लगाते हुए कहा कि बाराबंकी में तैनाती के दौरान प्रताड़ना से गुजरना पड़ा। उन्होंने जिला जज पर शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया। उनसे रात में भी जिला जज से मिलने के लिए कहा गया। उन्होंने वर्ष 2022 में इस मामले की शिकायत इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस से की लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। उनकी परेशानी को जानने की कोशिश तक नहीं की गई। जुलाई 2023 में अर्पिता साहू ने फिर से इलाहाबाद हाईकोर्ट की आंतरिक समिति के सामने इस मामले को उठाया लेकिन जांच शुरू होने में 6 महीने लग गए। इस दौरान हजार ईमेल भेजने पड़े। अर्पिता ने प्रस्तावित जांच को महज दिखावा बताया।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस को लिखा पत्र

अर्पिता ने पत्र में आगे लिखा है कि मैंने जांच लंबित रहने के दौरान जिला जज के ट्रांसफर का निवेदन किया था लेकिन उनकी इस प्रार्थना पर भी ध्यान नहीं दिया गया। इस मामले की जांच अब जिला जज के अधीन होगी। ऐसे में उन्हें मालूम है जांच का नतीजा क्या निकलेगा? इसलिए उन्होंने मुख्य न्यायाधीश से जिंदगी को खत्म करने की अनुमति देने की गुहार लगाई है।

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