लखनऊ। उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी के महासचिव और यूपी सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में हैं। बता दें कि बीते दिनों सनातन धर्म पर की गई उनकी टिप्पणी से सपा पार्टी काफी परेशान हुई थी। अब एकबार फिर से स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक ऐसा बयान दे दिया है जिसके बाद अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
फिर सामने आया मौर्य का बयान
दरअसल, समाजवादी पार्टी के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) के एक प्रस्ताव पर टिप्पणी की है। इस प्रस्ताव के अंतर्गत स्कूलों में रामायण और श्रीमद्भागवत पढ़ाने की बात कही गई थी। इसी फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया है। इस दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य ने लिखा, यद्यपि कि आज वैसे ही बड़े पैमाने पर जातीय हिंसा व महिला उत्पीड़न की घटनायें हो रही हैं। कहीं दलित, आदिवासी और पिछड़े समाज के लोगों पर पेशाब करना, वक्त पर फीस न जमा कर पाने पर बच्चों की पिटाई करना और उन्हें मौत देना, कहीं महिलाओं के साथ सामूहिक दुराचार की घटना के बाद हत्या कर के लाश को टुकड़े-टुकड़े कर देना, कॉलेज व विश्वविद्यालय परिसर में भी यदा-कदा छात्राएं अपमानित होने के फलस्वरूप आत्महत्या करने के लिए मजबूर होने की घटनाएं सामने आती रहती हैं।
स्वामी ने महाभारत पर उठाए सवाल
इसके अलावा स्वामी प्रसाद मौर्य ने लिखा, क्या NCERT व सरकार, रामायण व महाभारत को पाठयक्रम में शामिल कर सीता, शूर्पणखां व द्रोपदी जैसी महान देवियों को क्रमशः अग्नि परीक्षा के बाद भी त्याग करना, वैवाहिक प्रस्ताव देने पर नाक-कान काटने की घटना और द्रोपदी जैसी तमाम देवियों के चीरहरण को बढ़ाना चाहती है? यही नहीं सपा नेता ने आगे लिखा कि एक ने भाई को भाई से लड़ाने का काम तो दूसरे ने भाईयों-भाईयों को आपस में लड़ाया। क्या सरकार पारिवारिक विद्यटन को समर्थन देती है ?
वीर सपूतों के बारे में पढ़ाने का सुझाव
यदि रही बात पाठ्यकम में देश के हीरो को पढ़ाने की, तो वर्तमान राष्ट्र के उन महानवीर सपूतों, राष्ट्रनिर्माताओं और नायकों को NCERT पाठयक्रम में ले आएं जैसे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, बाबा साहब डा० भीमराव अम्बेडकर, रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई, वीरांगना ऊदा देवी, चन्द्रशेखर आजाद, सरदार भगत सिंह, अशफाक उल्ला खां, पं० राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, वीर ऊद्यम सिंह जैसे आदि महानायकों को शामिल किया जा सकता है। उन्होंने आगे लिखा कि अब फिर से शम्बूक का सिर और एकलव्य का अंगूठा न काटा जाए इस पर ध्यान में देने की जरुरत है।