लखनऊ। देश में लोकसभा चुनाव काफी नजदीक है। ऐसे में देशभर की सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी तैयारियों में लगी हुई हैं। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव इन दिनों दलितों को साधने में लगे हुए हैं। वहीं बीते दिनों मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर उनकी कांग्रेस पार्टी से तकरार भी […]
लखनऊ। देश में लोकसभा चुनाव काफी नजदीक है। ऐसे में देशभर की सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी तैयारियों में लगी हुई हैं। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव इन दिनों दलितों को साधने में लगे हुए हैं। वहीं बीते दिनों मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर उनकी कांग्रेस पार्टी से तकरार भी नजर आई थी। जिसके बाद से इंडिया गठबंधन को लेकर भी सवाल उठाए जाने लगे।
बताया जा रहा है कि अब सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपना पूरा ध्यान उत्तर प्रदेश में दलितों को साधने में लगा दिया है। जिसके तहत वह अपने पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के प्लान पर काम करते नज़र आ रहे हैं। यही नहीं इस समय उनका ध्यान प्रदेश के कई हिस्सों में जनसभा के दौरान पिछड़ों व अल्पसंख्यकों के साथ-साथ दलितों पर भी है। इसी के चलते वह लखनऊ में दिसबंर महीने में महादलित समाज कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन करने जा रहे हैं।
इसके अलावा लोकसभा चुनाव में दलितों को अपने पाले में लाने के लिए सपा प्रमुख, महादलित समाज कार्यकर्ता सम्मेलन में भी शामिल होने जा रहे हैं। हालांकि इससे पहले भी कई सम्मेलनों में वह अपने पीडीए फॉर्मुले का जिक्र करते हुए दलितों को साधते नजर आ चुके हैं। फिलहाल उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 17 सीटों को आरक्षित रखा गया है, जिस पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपनी मजबूत पकड़ बनाना चाहते हैं।
गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की सभी 17 दलित सीटों पर कब्जा किया था। वहीं 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अपनी दो दलित सीटें गंवानी पड़ी थी और वह 15 सीटें बचाने में कामयाब रहे। इस दौरान बसपा ने दो सीटों को अपने पाले में किया था। फिलहाल उत्तर प्रदेश में 21 से 22 फीसदी वोट बैंक दलितों के हैं, जो कि ज्यादातर सीटों पर जीत दिलाने के लिए निर्णायक भूमिका निभाते हैं।