Thursday, October 3, 2024

लिव-इन पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी, दूसरे धर्मों के जोड़ों को बताया टाइम पास

लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले अंतर-धार्मिक जोड़ों को टाइम पास बताया है। उनका कहना है कि ऐसे रिश्ते को स्थाई नहीं होते है। कोर्ट ने कहा कि जब तक ऐसे जोड़े अपने रिश्ते को शादी के माध्यम से कोई नाम देने को तैयार नहीं होते उन्हें अदालत संरक्षण देने का आदेश नहीं दे सकती।

जीवन फूलों का सेज नहीं है

दरअसल यूपी के प्रयागराज में एक जोड़े की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि जीवन फूलों का सेज नहीं बल्कि बहुत मुश्किल और कठिन है। साथ ही अदालत ने कोई हस्तक्षेप किये बिना इंकार करते हुए याचिका ख़ारिज कर दी। इस मामले में लड़के-लड़की की उम्र 20 और 22 साल है। दोनों जोड़ें अलग-अलग धर्मों से हैं। न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी और एमएएच इदरीसी की खंडपीठ ने सोहेल खान और कुमारी राधिका की याचिका पर आदेश दिया है कि इन्हें संरक्षण न दिया जाए।

ऐसे रिश्ते स्थाई नहीं

याची के चचेरे भाई अहसान फिरोज ने हलफनाम देकर याचिका दायर की थी कि दोनों लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहते हैं। अपहरण के आरोप में बुआ ने मथुरा के रिफाइनरी थाने में FIR दर्ज कराई थी, जिसे रद्द किया जाये और गिरफ़्तारी पर तुरंत रोक लगे। साथ ही दोनों जोड़ों को संरक्षण दिया जाए। कोर्ट ने ये भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में लिव-इन रिलेशनशिप को मान्यता दी है लेकिन दो महीने की अवधि में और वो भी 20-22 साल की उम्र में इस प्रकार के अस्थाई रिश्ते पर शायद ही गंभीरता से विचार कर पायेंगे।

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