लखनऊ। बिहार में हुई जाति आधारित गणना की रिपोर्ट 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती के मौके पर जारी कर दी गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ से अधिक है। इसके अलावा राज्य में पिछड़ा वर्ग 27.13% और सामान्य वर्ग की जनसंख्या 15.52% है। इस रिपोर्ट पर कई नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं। इस कड़ी में बसपा प्रमुख मायावती ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।
लंबे संघर्ष की यह पहली सीढ़ी
राज्य की पूर्व सीएम एवं बसपा प्रमुख मायावती ने जातिगत जनगणना की रिपोर्ट जारी होने पर कहा है कि बिहार सरकार द्वारा कराए गए जातीय जनगणना के आंकड़ें सार्वजनिक होने की खबरें आज काफी सुर्खियों में है तथा उस पर गहन चर्चाएं जारी है। कुछ पार्टियां इससे असहज ज़रूर हैं किंतु बीएसपी के लिए ओबीसी के संवैधानिक हक के लंबे संघर्ष की यह पहली सीढ़ी है।
बदल रही देश की राजनीति
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए आगे लिखा कि बीएसपी को प्रसन्नता है कि देश की राजनीति उपेक्षित ’बहुजन समाज’ के पक्ष में इस कारण नया करवट ले रही है, जिसका नतीजा है कि एससी/एसटी आरक्षण को निष्क्रिय व निष्प्रभावी बनाने तथा घोर ओबीसी व मंडल विरोधी जातिवादी एवं साम्प्रदायिक दल भी अपने भविष्य के प्रति चिंतित नजर आने लगे हैं।
केंद्र करायें जातिगत जनगणना
मायावती ने आगे प्रदेश सरकार से मांग करते हुए कहा कि वैसे तो यूपी सरकार को अब अपनी नीयत व नीति में जन भावना व जन अपेक्षा के अनुसार सुधार करके जातीय जनगणना/सर्वे अविलम्ब शुरू करा देना चाहिए, किन्तु इसका सही समाधान तभी होगा जब केन्द्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना कराकर उन्हें उनका वाजिब हक देना सुनिश्चित करेगी।
बिहार में 14.27 प्रतिशत यादव
बता दें कि विकास आयुक्त विवेक सिंह ने 2 अक्टूबर को जातिगत जनगणना की रिपोर्ट जारी की। इसके अनुसार बिहार की जनसंख्या 13.07 करोड़ है। डेटा के मुताबिक़ राज्य में अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग 27.13 प्रतिशत और सामान्य वर्ग 15.52 प्रतिशत है। वहीं अगर जातियों को देखे तो भूमिहार की आबादी 2.86, यादव की 14.27 प्रतिशत है।