Friday, September 27, 2024

कारगिल में लगी 15 गोलियां फिर भी बची जान, जानिए परमवीर चक्र विजेता कैप्टन योगेंद्र की कहानी

लखनऊ। भारत के बहादुर सैनिकों ने आज से 24 साल पहले यानी 26 जुलाई, 1999 को पाकिस्तानी सेना को धूल चटाई थी। इस जंग में भारत के 527 जवान शहीद हुए लेकिन अपने अदम्य साहस के बल पर उन्होंने कारगिल में हिंदुस्तान का झंडा लहराया। कारगिल युद्ध में भाग लेने वाले जवानों में यूपी के योगेंद्र सिंह यादव भी शामिल हैं। उन्होंने 15 गोलियां खाने के बाद भी हार नहीं मानी और मौत को हरा दिया।

शादी के 15 दिन बाद ज्वाइन की ड्यूटी

बुलंदशहर के योगेंद्र सिंह यादव ने कारगिल युद्ध में भाग लिया था। उनके पिता करण सिंह यादव भी सेना में थे। उन्होंने 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भाग लिया था। योगेंद्र अपने पिता की तरह बचपन से ही आर्मी में जाना चाहते थे। जब उन्हें सेना भर्ती की चिट्ठी मिली थी तो बहुत खुश हुए थे। साल 1999 में उनकी शादी हो गयी और उसके 15 दिन बाद ही ड्यूटी ज्वाइन करने का आदेश आया।

शरीर से लटका हाथ

योगेंद्र जब जम्मू-कश्मीर पहुंचे तो उन्हें पता चला कि उनकी बटालियन तोलोलिंग पहाड़ी पर लड़ाई लड़ रही है। उन्हें टाइगर हिल के तीन खास बंकरों पर कब्ज़ा करने का काम सौंपा गया। युद्ध के दौरान दुश्मनों की गोलियों से कैप्टन योगेंद्र यादव का एक हाथ शरीर से लटक रहा था। पाकिस्तानी सैनिक ने इनके पैरों और कंधे पर गोलियां चलायी। इस दौरान वो बेसुध वहीं पड़े रहे। इसके बाद उन्होंने योगेंद्र यादव के सीने पर गोली मारी। हालांकि उनकी जान बच गयी।

परमवीर चक्र से सम्मानित

15 अगस्त 2000 को योगेंद्र यादव को सेना के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। सबसे कम उम्र में इस सम्मान से सम्मानित होने वाले योगेंद्र पहले सैनिक है। फिलहाल योगेंद्र यादव आर्मी से सेवानिवृत हो चुके हैं।

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