लखनऊ। गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी जीवा की हत्या करने वाले आरोपी विजय यादव की पुलिस रिमांड आज खत्म हो रही है। हत्यारोपी को जेल ले जाने के लिए चौक पुलिस ने पूरी तैयारी कर ली है। चौक थाने के बाहर जेल ले जाने के लिए गाड़ी तैयार है। वहीं सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए भारी पुलिस बल भी मौजूद है। बता दें कि पुलिस जांच के दौरान 20 लाख की सुपारी की बात सामने आई है। इसके अलावा विजय यादव असली मास्टरमाइंड के सवाल पर गोलमटोल जवाब देता रहा।
जानिये कौन था संजीव जीवा
बता दें कि माफिया डॉन मुख़्तार अंसारी का करीबी संजीव जीवा बुधवार 7 जून को लखनऊ कोर्ट में मारा गया। लखनऊ अदालत परिसर में वकील की लिबास में पहुंचे हमलवार विजय यादव ने सरेआम गोली मारकर उसकी हत्या कर दी। बता दें कि संजीव जीवा जेल में बंद था , उसे एक मामले की सुनवाई के लिए अदालत लाया गया था। इस दौरान विजय यादव ने उसे गोलियों से छलनी कर दिया। मुख़्तार गैंग का सदस्य संजीव महेश्वरी उर्फ़ जीवा यूपी के मुजफ्फरनगर जिले का रहने वाला था।
ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या में शामिल
पुलिस के मुताबिक संजीव जीवा पहले नाजिम के गैंग में रहकर अपराध करता था। नाजिम ज्वालापुर हरिद्वार का निवासी है। उसके गैंग में संजीव जीवा के अलावा बलवेंद्र, सतेंद्र, जितेंद्र उर्फ भूरी, अमरजीत उर्फ बबलू, रमेश ठाकुर और पवन सदस्य थे। इस गैंग के लोग मुजफ्फरनगर, हरिद्वार और सहरानपुर में हत्या, अपहरण, डकैती और लूटपाट करते थे। इस गैंग के लोगों ने पूर्व विद्युत मंत्री और बीजेपी नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की फैजाबाद में हत्या कर दी थी। इस मामले में कोर्ट ने 20 साल की सजा सुनाई थी। जितेंद्र उर्फ भूरी और रमेश ठाकुर पुलिस एनकाउंटर में मारे जा चुके हैं। जबकि अमरजीत और बबलू उम्र कैद की सजा काट रहे हैं। इस गैंग का एक सदस्य बलवेंद्र उर्फ बल्लू गैंगस्टर सुशील मूंछ की गैंग में शामिल हो गया। इसके बाद जीवा ने सतेंद्र के साथ मिलकर नया गैंग बना लिया।
अभी भी मुख़्तार के लिए करता था काम
नया गैंग बनाने के बाद संजीव जीवा माफिया मुख़्तार के संपर्क में आया। वह मुख़्तार के देखरेख में अपने गैंग को संचालित करने लगा। पश्चिमी यूपी के अलावा पूर्वी यूपी में भी आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने लगा। पुलिस का कहना है कि अभी भी वह मुख़्तार के लिए ही काम करता था। बीजेपी विधायक कृष्णानन्द राय की हत्या में इसका भी हाथ था। इसके बाद पुलिस ने इसे गिरफ्तार कर लिया था तब से लखनऊ जेल बंद था।