लखनऊ। संगम नगरी प्रयागराज में सरकारी विभागों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। जहां गंगा की रेत पर फिर से बड़ी संख्या में शवों को दफनाया जा रहा है। गंगा किनारों के घाटों पर बड़ी संख्या में शवों को दफनाया जा रहा है , जिससे घाट कब्रिस्तान में तब्दील होते दिख रहे हैं। वहीं सरकारी अमला भी इस चीज को अनदेखा कर रहा है। नगर निगम समेत दूसरे सरकारी विभागों ने अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लिया है। लापरवाही की वजह से हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेशों की धज्जियां उड़ रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद भी ऐसा हाल
दूसरी तरफ मानसून आने के बाद बारिश की वजह से मिट्टी में दफन ये शव कब्र से बाहर आकर गंगा में बहने लगेंगे। इससे गंगा प्रदूषित होगी। बता दें कि धार्मिक मान्यताओं के कारण गंगा घाटों पर अंतिम संस्कार का बहुत महत्व है। यहां पर आस-पास के जिलों के अलावा एमपी एवं अन्य राज्यों से भी लोग अंतिम संस्कार के लिए आते हैं। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से लेकर एनजीटी तक ने आदेश दे रखा है कि गंगा किनारे शवों को न दफनाया जाये।
कोरोना काल में मचा था हाहाकार
इसके बावजूद प्रयागराज में एक बार फिर से बड़ी संख्या में गंगा के रेत पर शवों को दफनाया जा रहा है। फाफामऊ, श्रृंगवेरपुर, अरैल और छतनाग घाटों पर प्रतिदिन शवों को दफनाया जा रहा है। बता दें कि दाह संस्कार में हज़ारों रुपये खर्च होते है, इस वजह से गरीब लोग कब्र खोदकर शव को दफना देते हैं। 2 साल पहले कोरोना के सेकेंड फेज में इसी तरह का नजारा देखने को मिला था। विदेशी मीडिया में भी फोटो और वीडियो खूब वायरल हुई थी। विदेशी मीडिया ने दफनाये गये शवों को कोरोना मृतकों के रूप में खबर चलाई थी।