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हनुमान गढ़ी के महंत तोड़ेंगे 200 साल पुरानी परंपरा, करेंगे राममंदिर की यात्रा

लखनऊ। अयोध्या में आज अक्षय तृतीया के मौके पर कुछ खास होने वाला है। अयोध्या के प्रतिष्ठित हनुमान गढ़ी मंदिर के महंत प्रेमदास पहली बार रामलला के दर्शन के लिए मंदिर प्रांगण से बाहर आएंगे। यह वही परंपरा है, जो बीते दो शताब्दियों से चलती आ रही थी, जिसके तहत हनुमान गढ़ी के ‘गद्दी नशीन’ […]

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Mahant will break 200 years old tradition
  • April 30, 2025 11:09 am Asia/KolkataIST, Updated 7 hours ago

लखनऊ। अयोध्या में आज अक्षय तृतीया के मौके पर कुछ खास होने वाला है। अयोध्या के प्रतिष्ठित हनुमान गढ़ी मंदिर के महंत प्रेमदास पहली बार रामलला के दर्शन के लिए मंदिर प्रांगण से बाहर आएंगे। यह वही परंपरा है, जो बीते दो शताब्दियों से चलती आ रही थी, जिसके तहत हनुमान गढ़ी के ‘गद्दी नशीन’ महंत कभी भी मंदिर की 52 बीघा सीमा से बाहर नहीं जाते।

महंत हनुमान गढ़ी के संरक्षक

हनुमान गढ़ी मंदिर के महंत को अयोध्या का संरक्षक कहा जाता है। माना जाता है कि वे हमेशा मंदिर में ही रहते हैं। जानकारी के मुताबिक हनुमान गढ़ी मंदिर के महंत आज सदियों से चली आ रही परंपरा को तोड़ेंगे। मंहत प्रेमदास शाही यात्रा के जरिए रामलला के दर्शन करेंगे। महंत घोड़े, हाथी, ऊंट, चांदी के राजदंड और रथ पर सवार होकर नवनिर्मित राम मंदिर तक एक किलोमीटर की यात्रा करेंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि हनुमान गढ़ी के महंत ने यह कदम क्यों उठाया?

अदालत में पेश होने से मनाही

सालों से चली आ रही पुरानी परंपरा को अब क्यों तोड़ा जा रहा है? इतने सालों तक उन्हें यह क्यों नहीं किया? जानकारी के मुताबिक अयोध्या के प्रज्जवल सिंह ने बताया कि 18वीं शताब्दी में मंदिर की स्थापना के साथ शुरू हुई परंपरा इतनी कठोर थी कि ‘गद्दी नशीन’ को स्थानीय अदालतों में भी पेश होने से मना कर दिया गया था। स्थानीय मान्यता के मुताबिक भगवान राम ने पृथ्वी से प्रस्थान करते समय हनुमान जी को अपना कार्यभार सौंपा था, जिससे भगवान हनुमान अयोध्या के शाश्वत संरक्षक बन गए।

नवाब ने दान में दी थी जमीन

महंत को हनुमान जी का प्रतिनिधि माना जाता है, इसलिए उन्हें मंदिर परिसर में ही रहना पड़ता है। भगवान राम और हनुमान जी की मौजूदगी में शहर की रक्षा करना महंत का कर्तव्य है। रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर के ‘गद्दी नशीन’ के बाहर न जाने का नियम हनुमान गढ़ी के ‘संविधान’ में लिखित है, जो 200 साल से भी पुराना है। हनुमान गढ़ी के लिए भूमि अवध के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह ने 1855 में दान की थी।

यात्रा को मंजूरी मिली

हनुमान गढ़ी के महंत ने मंदिर से बाहर निकलने के फैसले के बारे में जानकारी दी। महंत प्रेमदास ने बताया कि महीने में कई बार उन्हें सपने में भगवान हनुमान जी दिखें, जिसमें उन्होंने मंहत को आदेश दिया कि वह राम मंदिर जाकर रामलला के दर्शन करें। जानकारी के मुताबिक इसे हनुमान जी के निर्देश को मानते हुए प्रेमदास ने निर्वाणी अखाड़े की 400 सदस्यीय पंचायत के साथ बैठक की और इसकी अनुमति मांगी। 12 अप्रैल को हुई बैठक में सर्वसम्मति से यात्रा को मंजूरी दे दी गई।


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