Advertisement
  • होम
  • देश-प्रदेश
  • हाथ में हथकड़ी, पैरों की बेड़ियों ने तोड़े सपने, अमेरिका से लौटे अप्रवासियों ने सुनाई आपबीती

हाथ में हथकड़ी, पैरों की बेड़ियों ने तोड़े सपने, अमेरिका से लौटे अप्रवासियों ने सुनाई आपबीती

लखनऊ। सात समुद्र पार गए भारत के प्रवासियों ने कभी नहीं सोचा था कि वह इस तरह अपने देश वापस लौटेंगे। हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां बांधकर घर से 13,000 किलोमीटर दूर 30 घंटे की उड़ान पर वापस वहीं पहुंचा देते हैं, जहां से शुरुआत की थी। अमेरिका से वापस लौटे रक्षित बालियान, […]

Advertisement
immigrants
  • February 7, 2025 5:31 am IST, Updated 2 weeks ago

लखनऊ। सात समुद्र पार गए भारत के प्रवासियों ने कभी नहीं सोचा था कि वह इस तरह अपने देश वापस लौटेंगे। हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां बांधकर घर से 13,000 किलोमीटर दूर 30 घंटे की उड़ान पर वापस वहीं पहुंचा देते हैं, जहां से शुरुआत की थी। अमेरिका से वापस लौटे रक्षित बालियान, देवेंद्र सिंह और गुरप्रीत सिंह की कहानी भी कुछ ऐसी है।

देवेंद्र के सपनो पर लगा पूर्ण विराम

यह तीनों अपने सपने को पूरा करने के लिए भारत से अमेरिका गए थे, लेकिन उन्हें क्या पता था कि उन्हें वापिस भारत ही आना पड़ेगा। मुजफ्फरनगर के 38 साल के किसान देवेंद्र को अपने परिवार के गन्ने के खेतों से कुछ ज्यादा चाहिए था। उसे चमकदार नियॉन लाइटें, डॉलर गन्ने से ज्यादा अच्छे लग रहे थे, लेकिन उसे डिपोर्ट विमान में सीट मिली, जिसमें 103 अन्य लोग बैठे हुए थे। अमेरिका से डिपोर्ट किए जाने के बाद देवेंद्र के सपनों पर प्रवेश निषेध का चिह्न लग गया है। उसकी सारी जमा पूंजी खर्च हो चुकी है, भविष्य अनिश्चित हो गया है।

यात्रा में 30 घंटे से ज्यादा का समय

फ्लाइट में उसकी मुलाकात मुजफ्फरनगर के 24 साल के रक्षित और पीलीभीत के गुरप्रीत सिंह से हुई। अलग-अलग जीवन शैली से जुड़े ये लोग, एक ही गलती के की वजह से डिपोर्ट किए गए थे। डिपोर्ट कर जब वह तीनों भारत की धरती पर पहुंचे तो उनकी कलाई और टखने लोहे की बेड़ियों से दर्द कर रहे थे, जो उन्हें 30 घंटे से ज्यादा समय तक बांधे हुए थे। देवेंद्र पिछले साल नवंबर में भारत से अमेरिका गए थे। उन्होंने अमेरिका जाकर अपनी जिंदगी संवारने का सपना देखा था। खुद से किए गए वादा को पूरा करने के लिए वे रवाना हुए।


Advertisement