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महाकुंभ में कैसे होता है श्रद्धालुओं की गिनती, जानें यहां सबकुछ

लखनऊ: प्रयागराज में इस साल का महाकुंभ मेला 13 जनवरी से शुरू हो चुका है और यह 26 फरवरी तक चलने वाला है. इसका 7वां दिन 19 जनवरी को है. वहीं, प्रशासन का दावा है कि पहले शाही स्नान (14 जनवरी) के दिन 3.5 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई. पिछले तीन […]

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  • January 19, 2025 6:38 am IST, Updated 1 month ago

लखनऊ: प्रयागराज में इस साल का महाकुंभ मेला 13 जनवरी से शुरू हो चुका है और यह 26 फरवरी तक चलने वाला है. इसका 7वां दिन 19 जनवरी को है. वहीं, प्रशासन का दावा है कि पहले शाही स्नान (14 जनवरी) के दिन 3.5 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई. पिछले तीन दिनों में 6 करोड़ श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके हैं.

45 करोड़ लोगों के पहुंचने की संभावना

इन 45 दिनों में 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी ये आंकड़ा ट्विटर पर शेयर किया था, लेकिन सवाल उठता है कि इतनी बड़ी भीड़ की सही गिनती कैसे है? आइये समझते हैं.

19वीं सदी से श्रद्धालुओं की गिनती

कुंभ मेले में श्रद्धालुओं की गिनती की प्रक्रिया 19वीं सदी में शुरू हुई थी. 1882 के कुम्भ में अंग्रेजों ने प्रमुख मार्गों पर बैरियर लगाकर गिनती कर ली थी। मेले में पहुंचने वाले लोगों की संख्या का अनुमान रेलवे टिकट बिक्री के आंकड़ों से भी लगाया गया. उस वक्त संगम पर करीब 10 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद थी. 1906 के कुंभ में करीब 25 लाख लोगों ने हिस्सा लिया था. इसी तरह 1918 के महाकुंभ में करीब 30 लाख लोगों ने संगम में डुबकी लगाई थी.

AI और CCTV से गिनती

इस बार कुंभ मेले में भीड़ का आकलन करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल किया जा रहा है. मेले में 200 स्थानों पर अस्थायी सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. इसके अलावा पूरे प्रयागराज शहर में 268 स्थानों पर 1107 अस्थायी कैमरे लगाए गए हैं.100 से अधिक पार्किंग स्थलों पर 700 से अधिक सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं, जो वाहनों और श्रद्धालुओं की गिनती में मदद करते हैं।

इन चीजों से भी लगाया जाता हैं अनुमान

नावों, ट्रेनों, बसों और निजी वाहनों से आने वाले लोगों की गिनती से भी भक्तों की संख्या का अनुमान लगाया जाता है। कुल आंकड़ों में अखाड़ों में आने वाले साधु-संतों और श्रद्धालुओं की गिनती भी जोड़ी जाती है. हालाँकि, एक ही व्यक्ति को कई बार गिना जा सकता है, क्योंकि कई लोग अलग-अलग घाटों पर स्नान करते हैं या मेले के विभिन्न हिस्सों में घूमते हैं।

पहले किस तरह होती थी गिनती?

2013 से पहले डीएम और एसएसपी की रिपोर्ट के आधार पर मेले में आने वाले लोगों की संख्या का अनुमान लगाया जाता था. इसमें बसों, ट्रेनों और निजी वाहनों का डेटा शामिल था। अखाड़ों से उनके भक्तों के बारे में भी जानकारी ली गई। पहले गिनती करना थोड़ा आसान था लेकिन अब शहर में बढ़ती भीड़ और ट्रैफिक प्रबंधन के कारण यह काम काफी जटिल हो गया है।

2013 में कैसे हुआ था गिनती?

डीडब्ल्यू की रिपोर्ट के मुताबिक, 2013 के कुंभ में पहली बार सांख्यिकीय तरीकों का इस्तेमाल किया गया था. इसमें स्नान के लिए आवश्यक स्थान और समय को आधार माना गया। आंकड़ों के मुताबिक, एक व्यक्ति को नहाने के लिए 0.25 मीटर जगह और 15 मिनट का समय चाहिए होता है।

इस आधार पर भी होती है गिनती

इस तरह एक घंटे में एक घाट पर करीब 12,500 लोग स्नान कर सकते हैं. इस साल प्रयागराज में स्नान के लिए 44 घाट तैयार किये गये हैं. अगर इन सभी घाटों पर लगातार 18 घंटे तक स्नान होता है तो भी यह संख्या प्रशासन द्वारा दिए गए आंकड़ों से काफी कम है.


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