लखनऊ: इंटरमीडिएट परीक्षा में सही अंक नहीं मिलने पर एक मेधावी छात्र ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मामले को लेकर छात्रा ने कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उसने अपनी कॉपी की दोबारा जांच कराने की मांग की थी. यह मामला उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के श्री गोपाल इंटर कॉलेज से सामने आया […]
लखनऊ: इंटरमीडिएट परीक्षा में सही अंक नहीं मिलने पर एक मेधावी छात्र ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मामले को लेकर छात्रा ने कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उसने अपनी कॉपी की दोबारा जांच कराने की मांग की थी. यह मामला उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के श्री गोपाल इंटर कॉलेज से सामने आया है।
बता दें कि कॉलेज की एक छात्रा को गणित में 69 अंक मिलने की उम्मीद थी, लेकिन उसे केवल 34 अंक मिले। छात्रा ने गणित में अच्छे अंक पाने के लिए काफी मेहनत की थी, लेकिन कम अंक आने से वह परेशान थी. हाई कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया और छात्र की मैथ्स की कॉपी को दो विशेषज्ञ परीक्षकों से दोबारा जांच कराई. जांच में पता चला कि बोर्ड की मार्किंग प्रक्रिया में लापरवाही हुई है. इसके बाद हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि छात्रा को 35 अंक और दिया जाएं, जो उसकी सही अनुमान के मुताबिक थे. कोर्ट के आदेश के बाद छात्रा को राहत मिली और उसके मार्क्स बढ़ा दिए गए.
इस मामले में परीक्षकों को सजा हो चुकी है. हाईकोर्ट ने दो परीक्षकों उप प्रधान परीक्षक राकेश विक्रम श्रीवास्तव और परीक्षक अजय कुमार के खिलाफ कार्रवाई की। इन परीक्षकों पर छात्र की कॉपी ठीक से नहीं जांचने का आरोप था. हाई कोर्ट के आदेश के बाद बोर्ड ने दोनों परीक्षकों पर तीन साल तक कॉपी जांचने पर रोक लगा दी है.
बता दें कि कोर्ट के इस फैसले के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है और सवाल उठ रहा है कि आखिर बोर्ड परीक्षकों द्वारा ऐसी लापरवाही क्यों की जाती है. छात्रों को उनकी मेहनत का सही मूल्यांकन मिलना चाहिए और ऐसे मामलों में सुधार के लिए शिक्षा प्रणाली में सुधार की जरूरत है।
वहीं इस फैसले से छात्रों को राहत तो मिली, लेकिन यह एक चेतावनी भी है कि परीक्षा प्रणाली में सुधार की जरूरत है ताकि छात्रों के साथ न्याय हो सके. शिक्षा विभाग को इस मामले में अपने नियमों और प्रक्रियाओं को और सख्त करने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके.