लखनऊ। गंगा सागर मेला भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक ताने-बाने का एक जीता जागता सबूत है। पश्चिम बंगाल के सागरद्वीप में हर साल आयोजित होने वाला सागर मेला देश का दूसरा सबसे लोकप्रिय मेला है। यह मेला गौरव प्राप्त कर चुका है।
15 जनवरी को लगेगा मेला
इस त्योहार में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है जो अनुष्ठानों में हिस्सा लेने, आध्यात्मिक शुद्धि की तलाश करने और अपार उत्साह के साथ जश्न मनाने के लिए इकट्ठा होते हैं। साल 2025 में, गंगा सागर मेला 15 जनवरी को लगने वाला है। गंगा सागर मेला हर साल मकर संक्रांति के मौके पर लगता है। यह मकर संक्रांति के एक दिन पहले भी पड़ता है जो 10 जनवरी 2025 से 18 जनवरी 2025 तक है। तैयारियां 10 जनवरी को शुरू हो जाती है। 18 जनवरी 2025 को मेले की समाप्त होंगी
सूर्य को अर्ध्य देते हैं
तीर्थयात्री सुबह भगवान सूर्य की पूजा करते हुए गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं। मकर संक्रांति के मौके पर गंगा सागर में लाखों श्रद्धालु इकट्ठे होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन गंगा सागर में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं। साथ ही पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा ऐसा माना जाता है मकर संक्रांति पर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। गंगा सागर में स्नान के बाद श्रद्धालु सूर्य देव को अर्ध्य देते हैं और समुद्र को नारियल तथा पूजा से संबंधित सामग्री अर्पित करते हैं।
2 नदियों का संगम
यह मान्यता है कि मकर संक्रांति पर स्नान करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। साथ ही सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। गंगा सागर का मेला हुगली नदी के किनारे आयोजित होता है, जो उस स्थान को दर्शाता है जहां गंगा बंगाल की खाड़ी में मिलती है। गंगा और सागर के संगम स्थल को गंगा सागर का नाम दिया है।