लखनऊ: इन दिनों देशभर में संभल और अजमेर विवाद सुर्खियों में हैं। इस बीच अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने बड़ी बात कही हैं। उन्होंने काशी और मथुरा का नाम लेते हुए कहा कि अजमेर और संभल से पहले इसके लिए बात होनी चाहिए। बता दें कि अजमेर की दरगाह और संभल स्थित जामा मस्जिद के सर्वेक्षण विवाद को लेकर साधु संत लगातार अपनी तरफ से प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
मंदिरों को नहीं बचाया तो आने वाली पीढ़ियां हमें कायर समझेगी
वहीं साधु-संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का बड़ा बयान सामने आया है. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी का कहना है कि अगर हम अपने मठ-मंदिरों को नहीं बचा पाए तो आने वाली पीढ़ियां हमें कायर समझेगी। उनके मुताबिक, ऐसे में जरूरी है कि हम अपने बच्चों में भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस और चंद्रशेखर आजाद की भावना पैदा करें। उन्हें क्रांतिकारी बनाएं.
मथुरा-काशी पर हो पहले फोकस
इस दौरान उन्होंने आगे कहा अपने बच्चों को शास्त्र के ज्ञान के साथ ही शिक्षा भी दिया जाना अत्यंत जरुरी है। हालांकि उन्होंने साफ़ तौर पर कहा कि संभल-अजमेर मामलों से पहले पूरा ध्यान काशी और मथुरा पर होना चाहिए। इन दोनों स्थानों से दुनिया भर के सनातनियों की आस्था और भावनाएं दोनों जुड़ी हुई हैं। उनका यह भी कहना है कि अगर उन्होंने हिंदुओं के कब्जाए मठों और मंदिरों को वापस नहीं किया तो नागा साधु खुद मैदान में आकर उन्हें बचाने की कमान संभालेंगे।
हिंदू मंदिरों को बाबर और औरंगजेब ने तोड़ा
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा, “जब बाबर और औरंगजेब ने भारत में हिंदू मंदिरों को नष्ट किया और कब्जा कर लिया, तब भी देश में बड़ी संख्या में हिंदू रहते थे, लेकिन उस समय के हिंदू उन्हें बचाने के लिए आगे नहीं आए।” उन्होंने वह प्रयास नहीं किया जिसकी जरूरत थी, यही कारण है कि आज की पीढ़ी के कई लोग उन्हें कायर कहते हैं.