लखनऊ। दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, भारत में एक प्रमुख त्यौहार है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और मुख्य रूप से भगवान राम द्वारा रावण के वध का उत्सव माना जाता है। इस दिन देशभर में रावण दहन की परंपरा निभाई जाती है, जहां रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया जाता है। रावण दहन को लेकर सभी के मन में एक सवाल रहता है कि सही मुहूर्त क्या है और इसका महत्व क्या है? आइए जानते हैं।
रावण दहन का मुहूर्त
दशहरा 2024 में 11 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इस दिन रावण दहन के लिए शुभ समय शाम 5:30 बजे से लेकर रात 7:00 बजे तक रहेगा। रावण दहन का मुहूर्त समय पंचांग और तिथि के अनुसार निकाला जाता है। इसे विजय मुहूर्त कहा जाता है, क्योंकि इसी समय भगवान राम ने रावण का वध कर धरती को उसके आतंक से मुक्त किया था। इस मुहूर्त में किया गया रावण दहन शुभ माना जाता है और इसे अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक माना जाता है।
रावण दहन का महत्व
रावण दहन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह बुराई के प्रतीकों का नाश और सत्य, न्याय, और अच्छाई की जीत को दर्शाता है। रावण को अहंकार, अधर्म और अनैतिकता का प्रतीक माना जाता है, और उसके पुतले को जलाकर हमें यह संदेश मिलता है कि चाहे कितनी भी शक्तिशाली बुराई क्यों न हो, अंत में सत्य और धर्म की ही विजय होती है।
धार्मिक महत्व
दशहरे का धार्मिक महत्व रामायण से जुड़ा है, जिसमें भगवान राम ने अपनी पत्नी सीता को रावण के चंगुल से मुक्त कराने के लिए लंका जाकर रावण का वध किया था। भगवान राम को धर्म और सत्य का प्रतीक माना जाता है, जबकि रावण अहंकार और अधर्म का। इस दिन रावण का पुतला जलाकर हम भगवान राम की विजय को याद करते हैं और अपने जीवन में उनके आदर्शों को अपनाने का संकल्प लेते हैं।
सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
रावण दहन केवल धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह समाज में बुराई और अधर्म के खिलाफ खड़े होने का प्रतीक है। इसे हर साल बड़े धूमधाम से मनाया जाता है और लोग एकत्र होकर इसका आनंद लेते हैं। यह सामाजिक मेलजोल और एकता का प्रतीक भी है।