Wednesday, October 23, 2024

Amitabh Bachchan: जब अमिताभ के लिए सावित्री बन गई थी रेखा, चोरी से मिलने पहुंची अस्पताल, जया ने रोका…

लखनऊ: आज सदी के महानायक अमिताभ बच्चन अपना 82वां जन्मदिन मना रहे हैं। बात करें 70 के दशक की तो अगर किसी की प्रेम कहानी चर्चा में थी, तो वो रेखा और अमिताभ बच्चन की लव स्टोरी थी. दोनों का प्यार भले ही मुकम्मल नहीं हो सका, लेकिन उनके रिश्ते के चर्चे आज भी होते हैं. जब दोनों एक-दूसरे को डेट कर रहे थे तो उस दौरान के कई किस्से सामने आते हैं. तो चलिए जानते है ऐसे ही किस्से की कुछ रोचक बातें।

जया ने रेखा व बिग बी के मिलने पर लगाई थी रोक

एक ऐसी कहानी भी है जब जया ने रेखा और अमिताभ बच्चन के मिलने पर रोक लगा दी थी और रेखा छुपकर बिग बी से मिलने अस्पताल पहुंच गई थीं। जया बच्चन फिल्म ‘सिलसिला’ में अमिताभ बच्चन और रेखा के साथ भी नजर आई थीं। इस फिल्म की शूटिंग से पहले ही जया को अमिताभ और रेखा के अफेयर के बारे में पता चल गया था. ऐसे में सवाल यह है कि वह फिल्म करने के लिए कैसे राजी हो गईं?

सिलसिला फिल्म की शूटिंग के दौरान आईं रिश्ते में खटास

यश चोपड़ा 1980 में फिल्म ‘सिलसिला’ बना रहे थे और उन्होंने अमिताभ से जया को इस फिल्म के लिए मनाने को कहा था। जब बिग बी ने जया से बात की और वह इस शर्त पर ‘सिलसिला’ करने के लिए राजी हुईं कि इसके बाद अमिताभ कभी रेखा के साथ काम नहीं करेंगे।

अस्पताल में अमित जी से मिलने पहुंची रेखा

अमिताभ बच्चन ने जया बच्चन की बात मानी और रेखा से दूर जाने लगे। फिल्म ‘सिलसिला’ के बाद उन्होंने रेखा के साथ किसी भी फिल्म में काम नहीं किया। फिर 1983 में ‘कुली’ के सेट पर अमिताभ बच्चन का एक्सीडेंट हो गया और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। तब उनकी हालत काफी गंभीर थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिग बी की हालत के बारे में सुनकर रेखा से रहा नहीं गया और वह उनसे मिलने अस्पताल पहुंच गईं। लेकिन जया ने उन्हें अमिताभ बच्चन से मिलने नहीं दिया.

उस दौरान बिग बी की हालत गंभीर थी

उस वक्त अमिताभ बच्चन की हालत बेहद गंभीर बताई जा रही थी. यहां तक ​​कि देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी उनसे मिलने अस्पताल पहुंची थीं. ऐसे में रेखा खुद को कैसे रोक सकती थीं? एक दिन सुबह होने से पहले रेखा सूती साड़ी पहनकर अंधेरे में बिग बी को देखने अस्पताल पहुंच गईं। अमिताभ की हालत देखकर रेखा बहुत दुखी हुईं और अस्पताल से लौटने के बाद वह मंदिरों में उनके लिए प्रार्थना करने लगीं। कहा जाता है कि वह उनके लिए प्रार्थना करने के लिए उज्जैन के महाकालेश्वर से लेकर तिरूपति मंदिर तक गई थीं।

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