Sunday, November 24, 2024

Bulldozer Action: ‘मंदिर हो या दरगाह…बाधा नहीं बन सकती’, बुलडोजर मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

लखनऊ: आज मंगलवार (1 अक्टूबर 2024) को सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर कार्रवाई मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि है और सड़कों, जल निकायों या रेलवे पटरियों पर अतिक्रमण करने वाली किसी भी धार्मिक संरचना को हटाया जाना चाहिए।

धर्म कुछ भी हो कार्रवाई होगी

सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और बुलडोजर कार्रवाई और अतिक्रमण विरोधी अभियान के निर्देश सभी नागरिकों के लिए होंगे, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पहुंचे. हालांकि, वो मध्य प्रदेश और राजस्थान की तरफ से भी सामने आए हैं।

पेशी के दौरान कही ये बात

पेशी के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ”मेरा सुझाव है कि रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजने की व्यवस्था होनी चाहिए. 10 दिन का समय दिया जाए। मैं कुछ तथ्य सामने रखना चाहता हूं. “यहां ऐसी छवि बनाई जा रही है जैसे किसी समुदाय को निशाना बनाया जा रहा हो।”

तुषार मेहता की दलील पर जस्टिस गवई ने कहा

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलील पर जस्टिस गवई ने कहा कि हम धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था में हैं. अवैध निर्माण चाहे हिंदू का हो या मुस्लिम का… कार्रवाई होनी चाहिए. इस पर मेहता ने कहा कि बिल्कुल, ऐसा ही होता है.

जस्टिस विश्वनाथन ने मामले को लेकर कहा

इसके बाद जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि अगर दो अवैध ढांचे हैं और आप अपराध के आरोप के आधार पर उनमें से केवल एक को गिरा देते हैं, तो सवाल तो उठेंगे ही. इस दौरान जस्टिस गवई ने कहा कि जब मैं मुंबई में जज था तो मैंने खुद फुटपाथ से अवैध निर्माण हटाने का आदेश दिया था, लेकिन हमें यह समझना होगा कि किसी अपराध का आरोपी या दोषी होना किसी घर को गिराने का आधार नहीं हो सकता। इसे ‘बुलडोजर जस्टिस’ कहा जा रहा है.

Latest news
Related news