लखनऊ: इन दिनों बसपा की मुखिया मायावती काफी चर्चाओं में हैं. दरअसल BSP की बुकलेट में मायावती की ओर से दावा किया गया है कि वर्ष 2019 में SP-BSP गठबंधन इसलिए अलग हुआ क्योंकि आमचुनाव के नतीजे के बाद सपा चीफ अखिलेश यादव ने मायावती का फोन नहीं उठाया. मायावती की ओर से दावा किया गया है कि अखिलेश यादव ने उनके और BSP के किसी भी नेता का फोन नहीं उठाया और बात तक नहीं की, जिस वजह से बसपा ने गठबंधन तोड़ लिया.
बात को छुपाने के लिए ऐसी बातें करते हैं
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बसपा सुप्रीमो मायावती के इन आरोपों पर सपा चीफ अखिलेश यादव ने कहा है कि उनकी ओर से फोन किया गया था. मगर कभी-कभी लोग अपनी बात को छुपाने के लिए ऐसी बातें बोलते हैं.
अब मायावती ये बोलीं
इस बीच बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोशल मीडिया X पर लिखा, ‘लोकसभा चुनाव-2019 में यूपी में BSP के 10 व SP के 5 सीटों पर जीत के बाद गठबंधन टूटने के बारे में मैंने सार्वजनिक तौर पर भी यही कहा कि सपा प्रमुख ने मेरे फोन का भी जवाब देना बंद कर दिया था जिसको लेकर उनके द्वारा अब इतने साल बाद सफाई देना कितना उचित व विश्वसनीय? सोचने वाली बात.”
बसपा सुप्रीमो ने आगे लिखा
मायावती ने आगे लिखा, “बीएसपी सैद्धान्तिक कारणों से गठबंधन नहीं करती है और अगर बड़े उद्देश्यों को लेकर कभी गठबंधन करती है तो फिर उसके प्रति ईमानदार भी जरूर रहती है. सपा के साथ सन 1993 व 2019 में हुए गठबंधन को निभाने का भरपूर प्रयास किया गया, किन्तु ’बहुजन समाज’ का हित व आत्म-सम्मान सर्वोपरि.”
बसपा जातिवादी संकीर्ण राजनीति के विरुद्ध
यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने आगे लिखा, “बीएसपी जातिवादी संकीर्ण राजनीति के विरुद्ध है. अतः चुनावी स्वार्थ के लिए आपाधापी में गठबंधन करने से अलग हटकर ’बहुजन समाज’ में आपसी भाईचारा बनाकर राजनीतिक शक्ति बनाने का मूवमेन्ट है ताकि बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर का मिशन सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त कर आत्मनिर्भर हो सके.”
सतीश चंद्र मिश्रा भी मैदान में आए
बता दें कि इस पूरे मामले में सपा चीफ अखिलेश यादव पर निशाना साधने के लिए मायावती के साथ BSP के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा भी कूद पड़े हैं. इस दौरान मायावती और सतीश चंद्र मिश्रा ने अखिलेश यादव पर डबल अटैक किया है.
सतीश चंद्र ने दी प्रतिक्रिया
BSP नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने X पर लिखा, “बहन जी फोन करने के पूर्व मेरे द्वारा फोन करने पर सपा प्रमुख फोन पर नही आए, फिर पार्टी कार्यालय से फोन गया और तब फिर भी फोन पर सपा प्रमुख से बात नहीं करायी गयी. फिर भी बहन जी ने बड़े होने के नाते सपा प्रमुख को फोन कर के हौसला देने की कोशिश की थी लेकिन वह फोन पर नहीं आए, और इस सबका परिणाम यह रहा कि बीएसपी को गठबंधन तोड़ना पड़ा.”