Friday, November 22, 2024

यूपी उपचुनाव को लेकर बीजेपी और आरएसएस के बीच महामंथन, इस बात पर बनी सहमति

लखनऊ : बीते दिन बुधवार को हुई यूपी बीजेपी और आरएसएस की बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। इस दौरान प्रदेश भाजपा में मचे घमासान के बीच आरएसएस ने कमान संभाल ली है। बता दें कि आरएसएस सह सरकार्यवाह अरुण कुमार की मौजूदगी में सरकार, संगठन और संघ के बीच महामंथन हुई। इस बैठक में प्रदेश में होने वाले 10 सीटों पर उपचुनाव को लेकर आगे का एजेंडा बनाया गया। बैठक करीब 3 घंटे से अधिक समय तक चली। भोजन के बाद बैठक का समापन हुआ।

उपचुनाव में जीत के लिए बनाई गई रणनीति

बता दें कि लखनऊ स्थित सीएम आवास पर प्रदेश भाजपा, संघ और आरएसएस के बीच महामंथन हुई। बैठक में उपचुनाव में पार्टी की जीत को लेकर रणनीति बनाई गई। वहीं आगामी उपचुनाव की जिम्मेदारी बीजेपी के साथ-साथ संघ को भी दी गई है। इस बैठक में हिंदुओं को जातियों में बांटने, आरक्षण और संविधान को खत्म करने के विपक्ष के दुष्प्रचार को चुनाव के लिए सबसे बड़ी चुनौती माना गया है. इस बार बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि जातिवाद को खत्म करने के लिए हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाया जाना चाहिए. साथ ही पुराने कर्मचारियों को दोबारा समायोजित किया जाए।

पुराने कार्यकर्ताओं पर भरोसा किया जाए

बैठक में कहा गया कि सभी इस बात पर सहमत हुए कि अधिकारियों और कर्मियों का समायोजन जल्द से जल्द बोर्ड निगम निकाय में किया जाये. बैठक में संघ ने निर्देश दिया कि बाहरी पार्टियों से आने वाले लोगों की बजाय अपने पुराने कार्यकर्ताओं पर जोर दिया जाए और उन पर भरोसा किया जाए.

आपसी प्यार और सम्मान व्यक्त करें

संघ ने सरकार और संगठन के बीच टकराव पर भी चिंता जताई और कहा कि कौन बड़ा और कौन छोटा की बहस बंद होनी चाहिए. ऐसी स्थितियों से बचें और आपसी प्यार और सम्मान व्यक्त करें। मतभेद होने पर मीडिया में बयान देने से बचें और मिल-बैठकर संवाद करके समस्याओं का समाधान करें। संघ ने पार्टी में गुटबाजी से दूर रहने की भी हिदायत दी.

जमीनी स्तर पर करें काम

बैठक में निर्णय लिया गया कि उपचुनाव में सभी 10 सीटें जीतने की तैयारी के साथ मैदान में उतरें और पार्टी के प्रति लोगों की धारणा को ठीक करने के लिए काम करें. बूथ स्तर पर पुराने कार्यकर्ताओं को तैनात किया जाए। इसके साथ ही पीडीए में अनियमितताओं को रोकने के लिए भी रणनीति बनाई जानी चाहिए. पीडीए की भ्रांति को सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से यथासंभव फैलने से रोकने पर जोर दिया जाना चाहिए।

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