लखनऊ : आज देशभर में भाई-बहन के सबसे मधुर रिश्ते का त्योहार मनाया जा रहा है। आज रक्षाबंधन के दिन हर बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है। ऐसे में ये कैसे संभव हो सकता है कि श्रीराम की बहन भगवान राम के लिए राखी न भेजे. आइए जानते हैं राम की बहन शांता के बारे में और हर साल अयोध्या भेजी जाने वाली इस राखी की परंपरा क्या है?
दशरथ की पुत्री का नाम शांता
पुराणों के अनुसार, महाराज दशरथ की एक बेटी भी थी जिसका नाम शांता था महारानी कौशल्या की बहन वर्षिणी और उनके पति रोमपाद जो अंग देश के राजा थे, उनकी कोई संतान नहीं थे. लिहाजा जब उन्होंने शांता जैसी कन्या की कामना की तो महाराज दशरथ और कौशल्या ने शांता को गोद दे दिया, शांता के बड़ी होने पर राजा रोमपाद ने इनका विवाह श्रृंगी ऋषि से कराया था हिमाचल प्रदेश के कुल्लू और कर्नाटक के श्रंगेरी में श्रृंगी ऋषि और शांता के मंदिर हैं। कर्नाटक के श्रंगेरी शहर का नाम श्रृंगी ऋषि के नाम पर ही है.
श्रृंग ऋषि और शांता मंदिर से आई भगवान के लिए राखी
परंपरा के लिहाज से हर साल भगवान राम की बहन भगवान को राखी बांधती हैं. यह परंपरा आज भी जारी है। रक्षाबंधन के मौके पर हिमाचल के कुल्लू स्थित श्रृंग ऋषि और शांता मंदिर से भगवान राम के लिए राखी अयोध्या पहुंच गई है. इसके साथ ही अयोध्या और अम्बेडकर नगर जिले की सीमा पर स्थित प्राचीन श्रृंगी ऋषि आश्रम माता शांता मंदिर से बड़ी संख्या में महिलाएं राखी लेकर गाजे-बाजे के साथ पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास के आवास पर पहुंची और उन्हें 56 नैवेद्य का भोग लगाया।
इस रक्षा सूत्र को रामलला की कलाई पर बांधा जायेगा
आज राखी पर अयोध्या जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास रामलला की कलाई पर यह रक्षा सूत्र बांधेंगे. श्रृंगी ऋषि आश्रम से आने वाली राखियों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि सावन शुरू होते ही महिलाओं का एक समूह अपने हाथों से रेशम के धागों से राखियां बनाती थी और बनाने से पहले प्रतिदिन पूजा की जाती थी।