लखनऊ : भारत के अदालतों में अंग्रेजी और हिंदी भाषा का प्रयोग करना आम बात है. लेकिन देवों के देव अर्थात महादेव की नगरी काशी में एक ऐसे वकील हैं जो कोर्ट रूम में केवल संस्कृत भाषा का ही प्रयोग करते हैं। वे अपनी दलीलें पेश करने में भी संस्कृत भाषा का ही प्रयोग करते हैं।आपको बता दें कि काशी के सीनियर एडवोकेट आचार्य श्याम जी उपाध्याय एक-दो नहीं बल्कि 46 सालों से संस्कृत भाषा में केस लड़ते हैं. आचार्य श्याम जी उपाध्याय का दावा है कि अभी तक उनको किसी भी केस में हार का सामना नहीं करना पड़ा है।
संस्कृत भाषा में अपनी दलीलें पेश करते
आचार्य श्याम जी उपाध्याय जब कोर्ट रूम में संस्कृत भाषा में अपनी दलीलें पेश करते हैं तो बड़े-बड़े वकीलों के पसीने छूट जाते हैं। अधिकांश वकीलों के तो पल्ले ही नहीं पड़ता है। कई बार तो कोर्ट रूम में जज साहब भी परेशांन हो जाते हैं . जिससे मुकदमे के सुनवाई के दौरान ही जज साहब को ट्रांसलेटर की जरूरत भी पड़ जाती है. पिछले 46 सालों से श्याम जी उपाध्याय द्वारा संस्कृत भाषा में ही केस लड़ा जा रहा है।
सन्न 1978 से शुरू किया प्रैक्टिस
बता दें कि आचार्य श्याम जी उपाध्याय का जन्म उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में हुआ था संस्कृत भाषा के पतन को देखते हुए उसके उत्थान के लिए उन्होंने बाल्यकाल से ही इसका संकल्प लिया था। उन्होंने अपने पिता से सुना था कि कचहरी के सभी कार्यों का क्रियान्वयन अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू भाषा में ही होता है. संस्कृत भाषा का प्रयोग कचहरी के कार्यों में नहीं होता है। अपने पिता द्वारा सुनी इस बात के बाद श्याम जी उपाध्याय ने बचपन में ही ये संकल्प लिया कि वे आगे चलकर संस्कृत भाषा में ही मुकदमा लड़ेंगे। और उन्होंने इसकी शुरुआत वाराणसी न्यायालय से की। सन्न 1978 से ही वो वाराणसी न्यायालय में प्रैक्टिस कर रहे हैं। जानकर आपको हैरानी होगी कि वे कोर्ट में एप्लिकेशन से लेकर बहस तक के सभी कार्य संस्कृत भाषा में ही करते हैं.
नेशनल अवार्ड से सम्मानित
आचार्य श्याम जी उपाध्याय ने संस्कृत भाषा के क्षेत्र में विशेष योगदान दिया है। उनको इस योगदान के लिए साल 2003 में भारत सरकार द्वारा नेशनल संस्कृत अवार्ड ‘संस्कृत मित्र’ से नवाजा गया। इसके अतिरिक्त भी संस्कृत के क्षेत्र में कई पुरस्कार मिले हैं।