लखनऊ : कुछ ही दिनों में सावन का पवित्र माह शुरू होने जा रहा है। ऐसे में यूपी की योगी सरकार ने कावड़ यात्रा को लेकर आज शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया है। इस फैसले के तहत कांवड़ रास्तों पर पड़ने वाली सभी दुकानदारों को अपने दुकानों पर नेमप्लेट लगाना अनिवार्य है। जिसमें आपको अपना नाम और पहचान लिखना होगा।
श्रद्धालुओं की आस्था की पवित्रता को देखते हुए लिया गया फैसला
योगी सरकार के आदेश में कहा गया है कि कांवड़ रास्तों पर खाने-पीने की चीजें बेचने वाले सभी दुकानों पर मालिकों का नाम लिखना अनिवार्य है, सभी नेमप्लेट पर मालिक का नाम और पहचान दर्ज की जाएगी। श्रद्धालुओं की आस्था की पवित्रता बनाए रखने के लिए यह फैसला लिया गया है। इसमें हलाल सर्टिफिकेट वाले प्रोडक्ट बेचने वालों पर कार्रवाई की बात भी कही गई है।
सबसे पहले इस जिला में हुआ था लागू
जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश पुलिस में सबसे पहले मुजफ्फरनगर पुलिस ने दुकानों के बाहर लगे आउटलुक को अपना नाम इस्तेमाल करने का आदेश दिया था। इसके पीछे पुलिस का तर्क था कि यात्रियों में किसी तरह का भ्रम न हो। जिले पुलिस के इस आदेश के बाद शहर के कई दुकानदारों ने भी अपने गोदाम के बाहर अपना नाम लिखवा लिया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी अब मुजफ्फरनगर पुलिस के इस आदेश पर हामी भर दी है।
इन्होंने किया विरोध
इस मामले में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस फैसले को सामाजिक अपराध बताया है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस फैसले को तानाशाही बताया है। वहीं, नेता जावेद अख्तर ने इस फैसले की तुलना जर्मनी के नाजी शासन से की थी।
पुलिस की जांच में हुए खुलासा
वहीं बघरा के योग साधना केंद्र के संस्थापक स्वामी यशवीर आश्रम महाराज ने चेतावनी दी थी कि अगर कांवड़ मार्ग पर मुस्लिम होटल मालिकों ने अपना नाम नहीं लिखा तो वह आंदोलन करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिमों ने हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर होटल चला रहे हैं, होटल विक्रेता के इस कार्य से श्रद्धालु भ्रमित हो रहे हैं। पुलिस को 8 ऐसे होटल मिले, जो मुस्लिमों द्वारा चलाया जा रहा था। जिस पर पुलिस ने उन सभी से अपने होटलों के नाम बदलने और वहां काम करने वाले लोगों के नाम बोर्ड पर लिखने की अपील की।