Friday, November 8, 2024

किन्नरों का करें सम्मान, नहीं तो उनका शाप कर देगा आपका जीवन बर्बाद, भगवान श्री राम से मिला था ये आशीर्वाद !

लखनऊ : इस आधुनिक दुनिया में शिक्षित समाज होने के बावजूद भी किन्नरों को सम्मान नहीं मिल पा रहा है. उनको उनका हक़ भी नहीं मिल रहा है। उनकी शारीरिक संरचना, रीति रिवाज लोगों में अचरज पैदा कर देती है. लोगों को उनके आशीर्वाद लेने की ललक रहती है। ऐसा माना जाता है कि यदि उनका आशीर्वाद मिल जाए तो उनका भविष्य भी चमक सकता है।

माना जाता पवित्रता का प्रतीक 

किन्नरों की लैंगिक विकृति आम लोगों से अलग होती है. यही विकृति उनकी पवित्रता का प्रतीक भी माना जाता है. आपको बता दें कि ऐसा माना जाता है कि अगर किसी किन्नर का दर्शन किसी व्यक्ति को सुबह -सुबह हो जाता है तो संबंधित व्यक्ति को उस दिन कोई-न-कोई विशेष उपलब्धि जरूर मिलती है।

किन्नरों का घर आना… होता है शुभ

किन्नरों का दूसरा नाम मंगलामुखी अर्थात सबका मंगल /शुभ करने वाला माना जाता है. लोग उन्हें हिजड़ा भी कहते हैं अर्थात जिसका हृदय, हीरे से जड़ा हो. ऐसे व्यक्ति कभी भी किसी का अहित नहीं सोच सकते, नाहिं कभी किसी का गलत कर सकते हैं। हमेशा समाज के कल्याण के बारे में ही सोचते रहते हैं। ये प्रायः लोगों के घर जाते रहते हैं. कभी शादी समारोह में, कभी बच्चों के पैदा होने की ख़ुशी में तो कभी अन्य शुभ अवसरों पर, लोग इन्हें हमेशा अपनी शक्ति के अनुसार पैसा और उपहार देकर विदा करने की कोशिश करते हैं जिससे ये लोग प्रशन्न होकर वापस जायें। ये लोग जिन लोगों पर अपना प्यार बरसा देतें हैं उनका जीवन हरा भरा सा हो जाता है। शुभ अवसरों पर घर जाकर किन्नरों का नाच गाना करना, उस घर के लिए कल्याणकारी माना जाता है।

प्रभु श्री राम ने दिया था ये आशीर्वाद

आपको जानकर हैरानी होगी कि जब प्रभु श्रीराम अयोध्या छोड़कर 14 वर्ष के लिए वनवास जा रहे थे, तो उनका पीछा करते-करते सभी अयोध्यावासी भी उनके साथ जाने लगे. जैसे ही सभी नगरवासी तमसा नदी के तट पर पहुंचे तो श्रीराम ने सभी नर-नारियों से अयोध्या लौटने का आग्रह किया। उनकी विनम्र निवेदन को स्वीकार करते हुए सभी नर-नारी वापस लौट गए, परन्तु किन्नरों ने अपना रूख नहीं बदला। वे 14 साल तक उसी तमसा नदी के तट पर रुके रहे। वनवास की अवधि समाप्त होने के साथ-साथ लंका पर विजय प्राप्त करते हुए माता सीता को साथ लेकर जब वापस अयोध्या लौटे तो उन्होंने देखा कि तमसा नदी के तट पर अभी भी किन्नर उसी स्थान पर डटे पड़े हैं. ये देख प्रभु श्रीराम हैरान हो गए उन्होंने कारण पूछा तो किन्नरों ने प्रणाम करते हुए बोला कि ‘ हे प्रभु ! आपने तो सिर्फ नर और नारियों को ही वापस लौटने को आदेश दिया था ‘ हम तो न नर हैं और नाहिं नारी, फिर बिना आपकी अनुमति के हम कैसे वापस जा सकते हैं.?

किन्नरों को दिया आशीर्वाद

किन्नरों की इस भक्ति भावना से प्रभु श्री राम भावुक हो उठे और प्रसन्नता के साथ सभी किन्नरों को आशीर्वाद दिया कि उन लोगों का आशीर्वाद सदैव फलित होगा. किन्नर जाति, मनुष्य जाति में सबसे श्रेष्ठ होगी. अगर किसी भी व्यक्ति को वो दिल से आशीर्वाद दे दें तो उनका जीवन हरा भरा अवश्य होगा। यही वजह है कि लोग आज भी अपने घर शुभ अवसरों पर उन्हें बुलाते रहते हैं. इनकी दुआ को अकाट्य मानी जाती है।

किन्नरों के शाप से बचे

कभी भी कोई किन्नर किसी के अहित के बारे में कभी सोच नहीं सकता, परन्तु कभी-कभी लोग उनका इतना मजाक बना देते हैं कि किन्नरों को शाप देना पड़ जाता है. जिससे व्यक्ति का अहित हो सकता है. सम्बंधित व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक, या आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

किन्नर का मजाक उड़ाना पड़ता है भारी

आचार्य विद्याकान्त पांडेय के अनुसार यदि धार्मिक मान्यता और ज्योतिषी की माने तो किसी भी किन्नर का मजाक बनाने और अपमान करने से अगले जन्म में हमे भी किन्नर का रूप मिलता है। बड़े बुजुर्गों की माने तो किन्नरों का ह्रदय काफी साफ होता है जब तक उनको कोई गहरा चोट नहीं लग जाता तब तक वो किसी को अशुभ नहीं बोलते क्यूंकि उनके शाप में इतना दम होता है कि किसी का भी जीवन बर्बाद हो सकता है।

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