लखनऊ : आज बुधवार को सीबीआई कोर्ट ने परिवार कल्याण विभाग के सीएमओ डॉ. विनोद कुमार आर्या और डॉ. बीपी सिंह की हत्या मामले में फैसला सुनाया है। न्यायालय ने आरोपी शूटर को उम्र कैद की सजा सुनाई है। यह फैसला सीबीआई के विशेष जज ने सुनाया है। बता दें कि 2010 में परिवार कल्याण विभाग के सीएमओ विनोद आर्य और 2011 में सीएमओ बीपी सिंह की हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद से यह मामला कोर्ट में चल रहा था।
2010 से चल रहा था मामला
बता दें कि सीबीआई कोर्ट ने आरोपी आनंद प्रकाश तिवारी को दोषी ठहराया था। वहीं सबूत नहीं मिलने के कारण विनोद शर्मा और रामकृष्ण वर्मा इस मामले से बरी कर दिए गए थे। लखनऊ के विकास नगर में 2010 में तत्कालीन सीएमओ डॉ विनोद आर्य को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। जिसके बाद से इसका फैसला आजतक कोर्ट में अटका पड़ा हुआ था। इस मामले में आज बुधवार को कोर्ट का फैसला सामने आया, कोर्ट ने आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
हत्या करने के लिए हुआ था सौदा
CBI ने हत्या करने वाले आनंद प्रकाश तिवारी, विनोद शर्मा और साजिशकर्ता आरके वर्मा को हिरासत में ले लिया था। सीबीआई की जांच के बाद खुलासा हुआ था कि डिप्टी सीएमओ वाईएस सचान ने दोनों सीएमओ की जान लेने के लिए 5-5 लाख रुपये में सौदा किया था। लंबे समय से CBI कोर्ट में चल रही सुनवाई के बाद बीते शुक्रवार को कोर्ट ने मुख्य शूटर आनंद प्रकाश तिवारी को आरोपी ठहराया था।
जानें पूरा मामला
राजधानी लखनऊ के विकास नगर में अक्तूबर 2010 में तत्कालीन CMO डॉ विनोद आर्य की गोली मारकर जान ले ली गई थी। विनोद आर्य की जगह नए CMO बने बीपी सिंह की भी अप्रैल 2011 में गोली से भून दिया गया था। जिस वजह से दोनों सीएमओ की जान चली गई थी। इस मामले की जांच के लिए यूपी सरकार ने सीबीआई को केस सौंप दी थी।
घोटाला 6000 करोड़ रूपये का
वहीं सीबीआई की जांच के दौरान डिप्टी सीएमओ योगेंद्र सिंह सचान की जेल में संदिग्ध हालत में मौत हुई थी। सीबीआई ने अंशु दीक्षित, आनंद प्रकाश तिवारी, विनोद शर्मा, रामकृष्ण वर्मा को शूटर बताया था। अंशु दीक्षित पेशी से भागते समय मुठभेड़ के दौरान मारा गया था। हालांकि अन्य आरोपितों के खिलाफ 2022 में गवाही पूरी हुई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फर्जी बिल पास करने से इनकार पर हत्याएं हुई थी। हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआई के हाथ एनएचएम घोटाले मामले के सुराग लगे थे। मामले में दर्जन भर लोग और अफसर जेल गए थे। बताया जा रहा है कि यह घोटाला करीब 6000 करोड़ रूपये का था।