लखनऊ : सभी महीने में त्रयोदशी तिथि आती हैं, जो भगवान शिव के पूजा अर्चना के लिए जाना जाता है। हर महीने कृष्ण शुक्ल पक्ष की इस तिथि को भोलेनाथ की विशेष पूजा की जाती है। इस दौरान प्रदोष काल में भगवान शिव के साथ माता पार्वती की आराधना की जाती है। इस मौके पर भक्त उपवास रखते हैं। साथ ही शुभ कामना के लिए ध्यान भी करते हैं। माना जाता है कि अगर आप इस तिथि पर भोलेनाथ के साथ मां पार्वती की पूजा करते है तो आपकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। साथ ही कहा जाता है कि मन पसंद जीवनसाथी का भी मिलना संभव हो जाता है।
23 जून से आषाढ़ की शुरुआत
बता दें कि आषाढ़ माह की शुरुआत, 23 जून से हो चुकी है। यह महीना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है और ऐसे में प्रदोष व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त, और पूजा की विधि के बारे में जानना भी महत्वपूर्ण है. तो ऐसे में चलिए जानते हैं, इस व्रत के शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि।
3 जुलाई को रखा जाएगा व्रत
वैदिक पंचाग के मुताबिक, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी तिथि की शुरुआत 03 जुलाई को सुबह 07 बजकर 10 मिनट पर होगी और 04 जुलाई को सुबह 05 बजकर 54 मिनट पर इसकी समाप्ति होगी. इस विशेष अवसर पर प्रदोष व्रत 03 जुलाई को रखा जाएगा, जिसमें आप भक्त भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना कर सकते हैं।
ऐसे करें पूजा
- प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें.
साफ़ कपडे पहने, इसके बाद भगवान सूर्य देव को जल चढ़ाएं
घर की मंदिर में भगवान भोलेनाथ व माता पार्वती की पूजा करें
पूजा के दौरान शिवलिंग पर घी, शहद और गंगाजल चढ़ाए
साथ ही शिवलिंग पर सफ़ेद फूल अर्पित करें
पूजा स्थल के पास दीपक जलाकर आरती करें , साथ ही शिव मन्त्रों का जाप करें
शिव चालीसा पढ़ें, इस दौरान फल व मीठे पकवान का भोग लगाएं
पूजा समाप्त होने के बाद लोगों में प्रसाद बांट दें।