लखनऊ। पंचांग के मुताबिक ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी(Nirjala Ekadashi) का व्रत रखा जाता है। आज के दिन यानी 17 मई को निर्जला एकादशी व्रत रखा जाएगा। इस व्रत को ‘देवव्रत’भी कहा जाता है। निर्जला एकादशी को भीमसेन एकादशी व्रत के नाम से भी जाता है। हिन्दु धर्म ग्रन्थों में एकादशी व्रत को परम पवित्र और फलदायी व्रत के रूप में माना गया है।
भीम ने किया था इस व्रक का पालन
वैसे तो साल की अन्य एकादशी पर आमतौर पर अन्न व जल का सेवन किया जाता है लेकिन वहीं ज्येष्ठ माह में आने वाली निर्जला एकादशी के दिन अन्न और जल दोनों का सेवन करने की मनाही होती है। यह व्रत कठिन होने के साथ अधिक प्रभावशाली भी माना जाता है। इस व्रत में बिना अन्न व जल के ही पूरे दिन व्रत का पालन करना पड़ता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत कर लेने से अधिकमास की दो एकादशियों सहित साल की 25 एकादशी व्रत का फल प्राप्त होता है। पौराणिक मान्यता है कि भीमसेन ने इस व्रत का पालन किया था और वैकुंठ को गए थे। इसलिए इसका नाम भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
निर्जला एकादशी का व्रत टूटने पर करें ये उपाय
यदि किसी व्यक्ति का गलती से निर्जला एकादशी का व्रत टूट जाता है तो उसे सबसे पहले स्नान कर लें। स्नान करने के बाद भगवान विष्णु को दूध, दही शहद और चीनी के मिश्रण से बने पंचामृत से भगवान विष्णु की मूर्ति का अभिषेक करें। इसके बाद प्रभु से क्षमा-याचना करते हुए भगवान विष्णु के मंत्र का जाप करें। इसके अलावा भगवान विष्णु के द्वादशाक्षर मन्त्र ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का यथाशक्ति तुलसी की माला के साथ जाप करें। साथ ही भगवान विष्णु के मन्दिर में पुजारी जी को फल, मिष्ठान्न, पीले वस्त्र, धर्मग्रन्थ, केसर, चने की दाल, हल्दी, आदि वस्तु दान-पून्य करें। गाय, ब्राह्मण और कन्याओं को भोजन कराए।