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रायबरेली की जीत बनी बड़ी चुनौती, संगठन की मजबूती और वादों पर खरा उतरने की जिम्मेदारी

लखनऊ: रायबरेली में मिली बड़ी जीत ने राहुल गांधी की चुनौतियों को बढ़ा दिया है। 2019 में जीत के बाद से सोनिया गांधी ने 5 साल तक स्वास्थ्य कारणों से रायबरेली से दूरी बनाए रखी। उनके प्रतिनिधि K.L शर्मा ने किसी तरह स्थानीय लोगों को गांधी परिवार से जोड़े रखा। दूरी की वजह से रायबरेली […]

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  • June 9, 2024 3:22 am Asia/KolkataIST, Updated 10 months ago

लखनऊ: रायबरेली में मिली बड़ी जीत ने राहुल गांधी की चुनौतियों को बढ़ा दिया है। 2019 में जीत के बाद से सोनिया गांधी ने 5 साल तक स्वास्थ्य कारणों से रायबरेली से दूरी बनाए रखी। उनके प्रतिनिधि K.L शर्मा ने किसी तरह स्थानीय लोगों को गांधी परिवार से जोड़े रखा। दूरी की वजह से रायबरेली में सांगठनिक रूप से कांग्रेस कमजोर हुई। यही कारण रहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कैंडिडेट को करारी हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में राहुल के सामने संगठन को मजबूत करने के साथ ही जनता के वादों पर खरा उतरने की कड़ी चुनौती भी है। जिले के लोगों के सीधे संपर्क की आस को भी राहुल को पूरा करना होगा।

विधानसभा चुनाव में हो गया था सूपड़ा साफ

लोकसभा चुनाव में तो हर बार गांधी परिवार के साथ जिले की जनता खड़ी रही, लेकिन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को लगातार हार मिल रही है। शहर से लेकर गांव स्तर तक संगठन की कमजोरी के कारण 2022 के चुनाव में सभी विधानसभा सीटों पर न केवल कांग्रेस का सूपड़ा साफ हुआ, बल्कि उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई। 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राहुल को कड़ी मेहनत करनी होगी। रायबरेली में पहले की तरह विधानसभा की सभी सीटों पर परचम लहराना राहुल गांधी के लिए बड़ी चुनौती है।


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