लखनऊ।बाजार में बीते कुछ दिनों से कीमतों में बड़ा उलटफेर आम आदमी के लिए चौंकाने वाला है। सबकुछ सामान्य चल रहा हो और अचानक से कीमतें बढ़ जाएं, वो भी रोजमर्रा के सामानों की तो आम आदमी का परेशान होना स्वाभाविक है। दाल और जीरे की कीमतों के साथ ही तेल के दाम में भी उछाल आया है। काजू-बादाम और मखाने की कीमत भी बढ़ी है, जबकि न तो कोई तीज-त्योहार है न सहालग। बीते 10 दिनों में किस तरह से कीमतें चढ़ीं और क्या है इसका कारण, आइए जानते हैं।
थोक बाजार में 130 रुपये लीटर पहुंचा तेल
कारोबारी रमेश चंद्र अग्रवाल कहते हैं कि सरसों के तेल में 18 रुपये की तेजी आई है। थोक बाजार में यह 112 रुपये लीटर था, लेकिन इस समय कीमत 130 रुपये है। सरसों का बाजार तेज होने से तेल की कीमत बढ़ी है। अभी इसमें कमी के आसार नहीं हैं। वहीं, रिफाइंड की कीमत में भी तेजी आई है। यह 103 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 108 रुपये पहुंच गया है।
न सहालग न त्योहार, फिर भी महंगा हुआ मेवा
दाल-तेल-जीरा ही नहीं, इस वक्त कुछ मेवे के दामों भी उछाल आ गया है। फुटकर बाजार में 1100 रुपये किलो बिक रहा मखाना 1300 रुपये तक पहुंच गया है। वहीं, काजू और बादाम की कीमतों में लगभग 50 रुपये की बढ़ोतरी आई है। इस वक्त दोनों 800 रुपये किलो हैं। कारोबारियों का कहना है कि बाहर से ही माल महंगा आ रहा है। फसल खराब होने से भी असर पड़ा है।
पतीली में दाल का गलना हुआ मुश्किल
दाल की कीमत कुछ समय के लिए घटती है और ज्यादा वक्त के लिए चढ़ जा रही है। एक बार फिर इसके बाजार में हलचल है। वो भी तब कीमत चढ़ रही है, जब आयात शुल्क घटने की बात कही जा रही है। कारोबारी भारत भूषण कहते हैं कि थोक बाजार में दाल के दामों में 10 रुपये तक का उछाला आया है। थोक बाजार में पुखराज प्रीमियम 167.50 रुपये, दाल सूरजमुखी 163 रुपये, दाल डायमंड व माधुरी किस्म 137 और 132.50 रुपये पहुंच गई है। चूंकि सर्वाधिक मांग अरहर दाल की ही होती है, इसलिए इसकी कीमतों में ज्यादा असर दिखता है। कारोबारियों का कहना है कि आयात शुल्क घटने के बाद भी दाम कम न होने का कारण यह है कि पीछे से ही दाल महंगी आ रही है।