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काशी में भगवान नृसिंह के 18 मंदिर, भक्तों के विघ्न हर दूर करते हैं तीर्थों के उपद्रव

लखनऊ। शिव की नगरी में भगवान विष्णु और उनके अवतारों के भी मंदिर हैं। मंदिरों के शहर में वराह, कूर्म, वामन, नृसिंह, राम और कृष्ण के मंदिरों की लंबी शृंखला है। बात करें भगवान नृसिंह की तो शहर में 18 मंदिर विराजमान हैं। भगवान नृसिंह के हर स्वरूप के दर्शन का अलग-अलग विधान है। कोई […]

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  • May 22, 2024 3:17 am Asia/KolkataIST, Updated 12 months ago

लखनऊ। शिव की नगरी में भगवान विष्णु और उनके अवतारों के भी मंदिर हैं। मंदिरों के शहर में वराह, कूर्म, वामन, नृसिंह, राम और कृष्ण के मंदिरों की लंबी शृंखला है। बात करें भगवान नृसिंह की तो शहर में 18 मंदिर विराजमान हैं। भगवान नृसिंह के हर स्वरूप के दर्शन का अलग-अलग विधान है। कोई विघ्न हरते हैं, कोई अभय प्रदान करते हैं तो कोई स्थायी लक्ष्मी का वरदान देते हैं।

18 रूपों में मौजूद है भगवान विष्णु

काशी खंड में वर्णित कथा के अनुसार भगवान विष्णु काशी में 18 रूपों में मौजूद हैं। अत्युग्र नृसिंह उनमें से एक हैं। कमलेश्वर शिव के पश्चिम भाग में भगवान विष्णु अत्युग्र नृसिंह के रूप में स्थापित हैं। अत्युग्र 2 शब्द अति और उग्र को मिलकर बना है जो भगवान की अपार शक्ति को दर्शाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान अत्युग्र नृसिंह का पूजन करके बड़ी उग्र पाप राशि को भी दूर किया जा सकता है।

इसी तरह निर्वाण नृसिंह ओंकारेश्वर से पूर्व में विराजमान हैं। महाबलनृसिंह चंडभैरव से पूर्व में, प्रचंडनरसिंह देहली विनायक से पूर्व, गिरि नृसिंह पितामहेश्वर के पीछे, महाभयहर नृसिंह कमलेश्वर के पश्चिम, ज्वाला नृसिंह कंकालभैरव के पास और कोलाहल नृसिंह नीलकंठ महादेव के पीछे विराजमान हैं। प्रह्लाद घाट पर विदारनृसिंह काशी के विघ्नों को दूर करते हैं। लक्ष्मी नृसिंह मोक्ष लक्ष्मी प्रदान करते हैं। गोपी गोविंद के दक्षिण में लक्ष्मी नृसिंह में स्नान करने वालों को मां लक्ष्मी कभी नहीं छोड़ती हैं।

दर्शन से दूर होता है पाप

देहली विनायक से पूर्व दिशा में विराजमान गिरि नृसिंह के दर्शन से पाप दूर होता है। पितामहेश्वर के पीछे महाभय नृसिंह के दर्शन से भक्तों के भय का हरण होता है। कमलेश्वर शिव के पश्चिम में विराजमान अत्युग्र नृसिंह के पूजन से पापों का नाश होता है। कंकाल भैरव के समीप विराजमान कोलाहल नृसिंह के दर्शन से सभी बाधाएं दूर होती हैं। नीलकंठ महादेव के पीछे विटंक नृसिंह की पूजा से भक्त निर्भय हो जाते हैं।


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