लखनऊ। आईएमएस BHU में कोवैक्सीन पर हुए शोध रिपोर्ट में विभागाध्यक्ष की जानकारी के बिना ही सदस्यों के नाम जोड़े गए हैं। आईएमएस के कुछ विभागों में जब विभागाध्यक्ष के स्तर पर पड़ताल कराई गई तो पता चला कि उस समय विभाग में सीनियर रेजिडेंट का नाम शोध में जोड़ा गया है। जबकि इसकी जानकारी न तो विभागाध्यक्ष को और न ही किसी कंसल्टेंट को दी गई।
नियमानुसार कंसल्टेंट या विभागाध्यक्ष की जानकारी के बिना किसी तरह के रिसर्च या स्टडी में नाम नहीं जोड़ा जा सकता है। अब सभी की निगाहें जांच रिपोर्ट और ICMR के अगले कदम पर टिकी हैं। आईएमएस बीएचयू जीरियाट्रिक विभाग के अध्यक्ष प्रो. एसएस चक्रवर्ती और फार्माकोलॉजी विभाग की डॉ. उपिंदर कौर ने कोवैक्सीन के दुष्प्रभाव वाला शोध किया है।आईएमएस के स्तर पर चल रही जांच में शोध रिपोर्ट में तथ्यों की कमी, जल्दबाजी में करने का जिक्र है। आईसीएमआर की ओर से शोध में बिना जानकारी आईसीएमआर का नाम देने पर नोटिस जारी किया गया है। नए मामले में वैक्सीन पर शोध की रिपोर्ट 2021 और फिर 2022 में भी प्रकाशित करवाई गई है। खास बात यह है कि हर बार अलग-अलग रिसर्च जर्नल्स को शामिल किया गया है।
रिपोर्ट में 13 विभागों का नाम
वैक्सीन के दुष्प्रभावों के मामले में प्रो. चक्रवर्ती ने 2021 और 2022 में अलग-अलग शोध किया है। इसमें 6 जुलाई को रिसर्च पेपर स्वीकृत होने के बाद 23 जुलाई 2021 को यह ऑनलाइन भी दिखने लगा। इसमें फार्माकोलॉजी, जीरियाट्रिक मेडिसिन समेत चार विभागों का नाम शामिल हैं। इसके बाद 20 जुलाई 2022 को भी एक शोध का प्रकाशन कराया गया। इसकी रिपोर्ट में 12 विभागों का नाम शामिल किया गया है। इसमें फार्माकोलॉजी, जीरियाट्रिक मेडिसिन, कम्यूनिटी मेडिसिन, जनरल मेडिसिन, आईएमएस बीएचयू के कॉलेज आफ नर्सिंग, सेंटर फॉर बायोस्टेटिक्स, सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग, स्त्री एवं प्रसूति तंत्र आदि का नाम है।
शोध में शामिल सदस्यों ने आईसीएमआर को भेजा जवाब
BHU प्रशासन की ओर से बयान जारी किया गया है। इसमें यह बताया गया है कि BHU प्रशासन ने कोवैक्सीन के प्रभावों वाले अध्ययन का संज्ञान लिया है। इसमें IMS के कुछ सदस्य शामिल हैं। आईएमएस प्रशासन इस मामले को देख रहा है। साथ ही यह भी कहा गया है कि अध्ययन में शामिल सदस्यों ने अपना जवाब आईसीएमआर को भेज दिया है।