Sunday, September 22, 2024

COVAXIN पर शोध अधूरा, IMS BHU की जांच में खुलासा

लखनऊ। इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (IMS) बीएचयू के प्रोफेसर और जीरियाट्रिक विभाग के अध्यक्ष प्रो. एसएस चक्रवर्ती का COVAXIN पर शोध विवादों में घिर गया है। BHU की 4 सदस्यीय जांच कमेटी ने ही शोध को आधा अधूरा बताया है। कमेटी ने कहा कि शोध में पर्याप्त तथ्यों का ध्यान नहीं रखा गया है। इसकी रिपोर्ट जल्द ही IMS के निदेशक को सौंपी जाएगी।

कोवैक्सीन पर किया गया शोध

विभागाध्यक्ष ने को-वैक्सीन पर शोध और उसके दुष्प्रभाव का पेपर प्रकाशित किया। 10 से ज्यादा विभागों को शामिल करके कहा कि को-वैक्सीन लगवाने वाले किशोरों के बाल झड़ रहे हैं। त्वचा रोग का मामला भी सामने आया है। इस शोध के सामने आते ही हलचल बढ़ गई। IMS BHU प्रशासन ने इस तरह के आधिकारिक शोध से इन्कार कर दिया। साथ ही निदेशक प्रो एसएन संखवार ने डीन रिसर्च प्रो गोपालनाथ की अगुवाई में चार सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी। को-वैक्सीन के दुष्प्रभाव वाले शोध में जीरियाट्रिक मेडिसिन, स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग और आईएमएस बीएचयू के करीब 10 विभागों का जिक्र है। शोध कार्य पूरा होने के बाद उसके रिसर्च जर्नल्स को प्रकाशन के लिए 30 मई 2022 को संबंधित संस्था में रिसीव हुआ। 17 जुलाई 2022 को उसको स्वीकार किया गया, जबकि 20 जुलाई को प्रकाशन हुआ। शुक्रवार को जैसे ही रिचर्स रिपोर्ट में को-वैक्सीन के साइड इफेक्ट वाली जानकारी IMS BHU निदेशक तो हुई तो उन्होंने इसकी सत्यता की जांच करवाने का निर्णय लिया।

शोध रिपोर्ट के समय पर सवाल

लोकसभा चुनाव के बीच को-वैक्सीन की शोध रिपोर्ट सार्वजनिक किए जाने पर सवाल उठाए हैं। IMS BHU के चिकित्सकों का कहना है कि शोध पुराना है, फिर चुनाव के बीच मीडिया को क्यों दिया गया, यह जांच का विषय है। आधी-अधूरी रिपोर्ट के सार्वजनिक किए जाने की पीछे की मंशा ठीक नहीं लग रही। जब शोध की रिपोर्ट जुलाई 2022 में प्रकाशित हुई तो इस समय दुष्प्रभाव वाली बात कहां से सामने आई। इससे IMS BHU की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का अनुमान है।

बोले अफसर

जो शोध को-वैक्सीन पर किया गया है, उसपर सवाल खड़ा होने के बाद जांच कराई गई है। फिलहाल रिपोर्ट में कुछ कमियों की जानकारी मिली है। रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। आईएमएस के सभी विभागों को पूरे तथ्यों के साथ ही शोध करने का सुझाव दिया जाएगा। इससे संस्थान की छवि बनी रहेगी। – प्रो. SN संखवार, निदेशक, आईएमएस बीएचयू

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