लखनऊ। पूर्वांचल, अवध एवं बुंदेलखंड में इंडिया गठबंधन के नए प्रयोग की परीक्षा है। पार्टी ने इस इलाके में न सिर्फ प्रत्याशी उतारने में सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला अपनाया है बल्कि जातिगत समीकरण को धार देने के लिए संबंधित बिरादरी के नेताओं को भी मैदान में उतार दिया है।
सियासी जानकारों का कहना है कि इस प्रयोग के सकारात्मक नतीजे आए तो प्रदेश की राजनीति की दिशा बदल सकती है। 5वें, 6वें और 7वें चरण में 41 सीट पर चुनाव हो रहे हैं। 5 सीटें बुंदेलखंड की हैं, जबकि 36 अवध और पूर्वांचल की हैं। इन सीटों पर गठबंधन के उम्मीदवारों की संख्या देखें तो दो क्षत्रिय व पांच ब्राह्मण सहित सामान्य वर्ग के 11 उम्मीदवार हैं। 8 कुर्मी, 5 निषाद, 1 यादव, एक पाल सहित 19 पिछड़ी जाति के हैं। 11 दलितों में 4 पासी समाज के हैं। मुस्लिम वर्ग का सिर्फ एक है।
PDA से बढ़ा दलितों का रुझान
सपा छात्रसभा के राष्ट्रीय महासचिव मनोज पासवान कहते हैं कि पार्टी का PDA फार्मूला कारगर दिख रहा है। संविधान और आरक्षण बचाने की बात सिर्फ सपा- कांग्रेस कर रही है। फैजाबाद सीट सामान्य है, लेकिन यहां पार्टी ने दलित उम्मीदवार उतारा है। पार्टी के बैनर में डा. अंबेडकर के साथ ही ऊदादेवी पासी, संत गाडगे की तस्वीर लगाई जा रही है। दलितों को भरोसा है कि उनके हक की बात सपा और इंडिया अलांयस ही कर रहा है। इसका असर लोकसभा चुनाव में दिखना तय है।
जातिगत समीकरण साधने की कोशिश
अब इंडिया गठबंधन की ओर से चुनाव प्रचार की कमान सौंपते वक्त भी सोशल इंजीनियरिंग का ध्यान रखा जा रहा है। विधानसभा क्षेत्रवार जिस इलाके में जिस जाति का वर्चस्व है, उसमें उसी जाति के नेता को उतारा गया है। ताकि पार्टी की बात को आसानी से समझा सकें। उदाहरण के तौर पर देखें तो सीतापुर में कांग्रेस उम्मीदवार राकेश राठौर हैं। यहां की बिसवां विधानसभा क्षेत्र में यादव नेताओं को तो लहरपुर में कुर्मी नेताओं को उतारा गया है। इसी तरह जौनपुर लोकसभा क्षेत्र में सपा उम्मीदवार बाबूसिंह कुशवाहा हैं। यहां यादव बहुल मल्हनी में स्थानीय विधायक के साथ ही अन्य कई यादव विधायक एवं पूर्व विधायक को भेजा गया है। जबकि मड़ियाहूं में कुर्मी नेताओं की तैनाती की गई है।
प्रदेश की सियासत में होगा बदलाव
सामाजिक चेतना फाउंडेशन के सचिव एवं हाईकोर्ट के अधिवक्ता महेंद्र मंडल कहते हैं कि इंडिया अलांयस ने जिस तरह से टिकट बंटवारे में सोशल इंजीनियरिंग की है, वह कारगर रहा तो भविष्य की सियासत में बदलाव होगा। सभी प्रमुख दल पिछड़ों एवं दलितों पर जोर देंगे। सपा पहले यादव- मुसलमान पर जोर देती रही है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। यह उसकी सोची समझी सियासी रणनीति है।
विकास के आगे नहीं चलेगी जाति
बीजेपी पिछड़ा मोर्चा काशी क्षेत्र के महामंत्री सुभाष कुशवाहा कहते हैं कि बीजेपी की केंद्र एवं प्रदेश सरकार के विकास कार्य के आगे विपक्ष की हर रणनीति फेल है। पूर्वांचल और अवध में जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भरोसा करती है। इसका असर चुनाव में साफ दिख रहा है। जहां तक टिकट की बात है कि इस क्षेत्र में भाजपा ने भी पिछड़ों और दलितों की आबादी के हिसाब से टिकट दिया है। पीडीए का फार्मूला हवा हवाई है।