Sunday, November 10, 2024

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मदरसा एक्ट को लेकर SC के फैसले को बताया ऐतिहासिक

लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ‘यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004’ को असंवैधानिक करार देने वाले इलाहाबाद HC के 22 मार्च के फैसले पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद HC के इस फैसले से 17 लाख छात्रों पर असर पड़ेगा। साथ ही SC ने यूपी सरकार को इस मामले में जवाब देने का निर्देश दिया। वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने प्रतिक्रिया दी है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड यानी AIMPLB के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। यूपी में लगभग 17 लाख छात्र मदरसा बोर्ड के तहत शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, इसमें हजारों शिक्षक और अन्य कर्मचारी शामिल हैं। उनके भविष्य पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लग गया था। आज सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस पर रोक लगाने के बाद लोगों में खुशी है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ऐतिहासिक है।

इलाहाबाद HC ने बताया था असंवैधानिक

बता दें कि 22 मार्च को उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद HC की लखनऊ बेंच ने ‘यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004’ को असंवैधानिक करार दिया था। हाई कोर्ट ने इस एक्ट को धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन बताया। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को एक स्कीम लाने का निर्देश दिया, जिसके द्वारा मदरसों में पढ़ रहे छात्रों को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में सम्मलित किया जा सके। अंशुमान सिंह राठौड़ की याचिका पर जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया था।

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