Friday, November 22, 2024

इलेक्टोरल बॉन्ड पर मायावती का हमला, धन्नासेठों से चंदा नही लेती बीएसपी

लखनऊ। चुनाव आयोग ने गुरुवार,14 मार्च की शाम को इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया। इसके बाद से इसे लेकर हंगामा बरपा हुआ है। दरअसल इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कंपनियों ने राजनीतिक दलों को चंदे दिए। इसी बीच बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी है।

सुप्रीम कोर्ट का ताज़ा फैसला महत्वपूर्ण

बसपा प्रमुख ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर कहा कि रक्षा सौदों आदि में भ्रष्टाचार के बाद चर्चित गुप्त चुनावी बॉन्ड सेे उगे धनबल द्वारा देश की राजनीति एवं चुनाव को भी जनहित व जनमत से दूर करने की प्रक्रिया के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट का ताज़ा फैसला महत्वपूर्ण, किन्तु संविधान व लोकतंत्र की रक्षा के लिए सतत प्रयास ज़रूरी है।

धन्नासेठों के धनबल से दूर बीएसपी

सोशल मीडिया साइट एक्स पर मायावती ने लिखा कि जहां सहारा वहां इशारा’, इससे बचने के लिए बीएसपी बड़े-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों के धनबल से दूर है और जिस कारण यूपी में चार बार बनी सरकार में जनहित, जनकल्याण तथा गरीबी व पिछड़ेपन को दूर करने के लिए ऐतिहासिक पहल किए, जबकि दूसरी पार्टियाँ अधिकतर स्वार्थ में ही लगी हैं।

गरीबों के हित में फैसला जरुरी

पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने आगे लिखा कि देश में अब लोकसभा के लिए हो रहे आमचुनाव में जन व देशहित में इन बातों का खास महत्व है तभी बहुजन हितैषी सरकार देश में बनकर लोगों को जानलेवा महंगाई, बढ़ती गरीबी, बेरोजगारी व पिछड़ेपन के लाचार जीवन से मुक्ति मिल पाएगी, वरना गरीबों की गरीबी व अमीरों की अमीरी लगातार बढ़ती जाएगी।

क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड

बता दें कि इलेक्टोरल बॉन्ड पॉलिटिकल पार्टी को चंदा देने का एक वित्तीय माध्यम है। यह एक ऐसा वचन पत्र है जिसे भारतीय नागरिक या कंपनी SBI की चुनिंदा शाखाओं से खरीद सकता है। साथ ही उक्त व्यक्ति या कंपनी किसी भी पॉलिटिकल पार्टी को गुप्त तरीके से दान दे सकता है। साल 2017 में मोदी सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की घोषणा की थी। इसे 29 जनवरी 2018 को लागू कर दिया गया था।

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