Sunday, October 27, 2024

CAA लागू होने के बाद पूरे प्रदेश में हाई अलर्ट, पुलिसकर्मियों की छुट्टियां निरस्त

लखनऊ। केंद्र सरकार द्वारा समान नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) की अधिसूचना जारी होने के बाद पूरे प्रदेश में हाई अलर्ट है। पुलिसकर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। DGP मुख्यालय ने सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।

पुलिस विभाग अलर्ट

सीएए की अधिसूचना जारी होने की संभावना के दृष्टिगत प्रदेश पुलिस ने 15 दिन पहले से तैयारी शुरू कर दी थी। सभी कमिश्नरेट और जिलों में पुलिसकर्मियों को दंगा आदि से निपटने का प्रशिक्षण देने के साथ उपकरणों से भी लैस किया जा रहा था। पिछली बार इसे लागू करने की कवायद के दौरान करीब डेढ़ दर्जन जिलों में हुए हिंसक प्रदर्शन में 20 लोगों की मौत की वजह से इस बार खास सतर्कता बरती जा रही है।

संवेदनशील इलाकों में बढ़ी सुरक्षा

बता दें कि सोमवार को सीएए की अधिसूचना जारी होने से पहले डीजीपी मुख्यालय के निर्देश पर सभी कमिश्नरेट और जिलों में पुलिसकर्मियों के अवकाश निरस्त करने का आदेश भी जारी कर दिया गया। आदेश में उन पुलिसकर्मियों को भी अवकाश से तत्काल वापस बुलाने को कहा गया, जो विभिन्न वजहों से छुट्टी पर हैं। तमाम संवेदनशील जिलों में तो एहतियात के तौर पर सुरक्षा बढ़ाने के साथ अवकाश पर गए पुलिसकर्मियों को सोमवार शाम छह बजे तक अपनी तैनाती के स्थान पर आमद करने का आदेश जारी कर दिया गया है। उन्हें केवल विषम परिस्थिति में उच्चाधिकारी की अनुमति से अवकाश मिल सकेगा। वहीं पुलिस अधिकारियों की मानें तो प्रदेश में करीब 3-4 हजार शरणार्थी रहते हैं। हालांकि यह संख्या अनुमानित है।

पुलिस ने संभाला मोर्चा

केंद्र सरकार द्वारा सोमवार को CAA की अधिसूचना जारी होने के बाद सतर्कता बढ़ा दी गयी। दंगारोधी उपकरणों के साथ पुलिस सड़कों पर फ्लैग मार्च करने लगी। डीजीपी मुख्यालय के अधिकारी पूरे प्रदेश से लगातार पल-पल की जानकारी ले रहे हैं। वहीं पुलिस ने सोशल मीडिया पर भी पैनी नजर रख रही है। डीजीपी प्रशांत कुमार ने सभी कमिश्नरेट और जिलों को अलर्ट पर रहने और अभिसूचना तंत्र को विशेष रूप से सतर्कता बरतने का आदेश दिया है। वर्ष 2019 में हुए सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान चिन्हित अराजक तत्वों पर भी पैनी निगाह रखी जा रही है। अफवाह फैलाने वालों पर तत्काल सख्त कार्रवाई करने को कहा गया है।

क्या है सीएए

नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (Citizenship Amendment Act) एक ऐसा कानून है, जिसके तहत दिसंबर 2014 से पहले तीन पड़ोसी देश बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत में आने वाले छह धार्मिक अल्पसंख्यकों (सिख, बौद्ध, हिंदू, जैन, पारसी और ईसाई) को नागरिकता दी जाएगी. नागरिकता संशोधन बिल पहली बार 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था. यहां से तो ये पास हो गया था लेकिन राज्यसभा में अटक गया था. बता दें कि इस कानून के तहत उन लोगों को अवैध प्रवासी माना गया है, जो भारत में वैध यात्रा दस्तावेज (पासपोर्ट और वीजा) के बगैर घुस आए हैं या फिर वैध दस्तावेज के साथ तो भारत आए हैं लेकिन समय बीत जाने के बाद भी वह अपने देश वापस नहीं गए हैं.

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