Sunday, October 27, 2024

Farmers protest 2.0: ‘दिल्ली चलो’ मार्च पिछले आंदोलन से कैसे अलग है? 5 पॉइंट में समझें

लखनऊ। किसान अपना मांग पूरी करवाने के लिए आंदोलन कर रहे वह सुबह 10 बजे अपना दिल्ली चलो मार्च शुरू करेंगे, लेकिन हरियाणा सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए राज्य के हर तरफ से एक बड़ी बाड़ लगा दी है कि प्रदर्शनकारी पंजाब से हरियाणा में प्रवेश नहीं कर सकें।

किसान आंदोलन शुरु

किसान एक बार फिर बड़ा आंदोलन शुरू करने जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब, के किसान सड़कों पर उतरेंगे. किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच आखिरी दौर की वार्ता सोमवार रात बेनतीजा रहने के बाद मंगलवार को 200 से अधिक किसान यूनियन दिल्ली की ओर बढ़ रही हैं। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि किसानों के जरिए उठाए गए अधिकतर मुद्दों पर सहमति बन गई है और सरकार ने बाकी मुद्दों के समाधान के लिए एक समिति बनाने का प्रस्ताव रखा है. किसान नेताओं ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की कानूनी गारंटी की कोई स्पष्टता नहीं है।

सुबह 10 बजे से शुरु करेंगे आंदोलन

किसान सुबह दस बजे अपना दिल्ली चलो मार्च शुरू करेंगे, लेकिन हरियाणा सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए राज्य के चारों ओर एक बड़ी बाड़ लगा दी है कि प्रदर्शनकारी पंजाब से हरियाणा में प्रवेश नहीं कर सकें। वहीं, किसानों के 2020-21 के विरोध प्रदर्शन को फिर से शुरू न होने देने के प्रयास में दिल्ली की सीमाओं को मजबूत कर दिया गया है।

पिछले आदोलन से कैसे अलग है किसानों का 2.0 मार्च?

  1. किसान क्यों कर कर विरोध ?

2020 में, किसानों ने उन 3 कानूनों का विरोध किया, जिन्हें दिल्ली की सीमाओं पर उनके एक साल के विरोध के बाद 2021 में निरस्त कर दिया गया था। हालांकि, अब सभी फसलों के लिए MSP की कानूनी गारंटी, किसानों के लिए पूर्ण कर्ज माफी, स्वामीनाथन आयोग के फॉर्मूले को लागू करने, किसानों और मजदूरों के लिए पेंशन, 2020-21 के विरोध के दौरान किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेने की मांग करते हुए 2023 में दिल्ली चलो की घोषणा की गई है।

  1. मार्च का नेतृत्व कौन कर रहा है?

किसान विरोध 2.0 का नेतृत्व विभिन्न यूनियनों द्वारा किया जा रहा है। वहीं, बता दें कि पिछले कुछ वर्षों में किसान यूनियनों का परिदृश्य बदला है। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने दिल्ली चलो 2.0 का ऐलान किया है। भारतीय किसान यूनियन, संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 2020 के आंदोलन का नेतृत्व किया गया था, जिसमें कई गुटबाजी भी अब देखी गई।

  1. सरकार की प्रतिक्रिया

सरकार ने इस बार किसानों के दिल्ली चलो मार्च से पहले ही बातचीत यानी आपसी चर्चा की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच पहली बैठक 8 फरवरी को हुई. दूसरी बैठक 12 फरवरी को हुई। रिपोर्टों की मानें तो, सरकार ने अब निरस्त कृषि कानूनों के खिलाफ 2020-21 के आंदोलन के दौरान दर्ज किसानों के खिलाफ सभी मामलों को वापस लेने की मांग स्वीकार कर ली, लेकिन MSP की कोई गारंटी नहीं दी।

  1. दिल्ली न पहुंचने देने के लिए भारी सुरक्षा, नाकेबंदी

2020 में, किसान राष्ट्रीय राजधानी में आने में सक्षम थे, लेकिन इस बार प्रशासन ने सख्त एहतियाती कदम उठाए हैं। सीमेंट बैरिकेड, कंटीले तार, सड़कों पर कीलें, दिल्ली की सभी सड़कें अवरुद्ध कर दी गई हैं। वहीं दिल्ली में धारा 144 लागू कर दी गई है। हरियाणा सरकार ने पंजाब से लगी अपनी सीमाएं सील कर दीं।

5 राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चारुनी अब हिस्सा नहीं

किसानों के 2020 के विरोध के 2 प्रमुख नेता राकेश टिकैत और गुरनाम सिंह चारुनी थे। लेकिन वे अब कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। SKM (गैर राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर के महासचिव सरवन सिंह पंधेर अब सबसे आगे हैं। हालांकि, यह कोई रणनीति भी हो सकती है।

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