लखनऊ। हिंदू धर्म में दत्तात्रेय जयंती का खास महत्व है। इसे भगवान दत्तात्रेय के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। भगवान दत्तात्रेय को त्रिदेवों, अर्थात् ब्रह्मा, विष्णु और शिव का अवतार माना जाता है। इस दिन भगवान दत्तात्रेय की विधि-विधान से पूजा की जाती है। साथ महिलाएं व्रत भी करती है।
दत्तात्रेय जयंती का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के मुताबिक दत्तात्रेय जयंती हर साल मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह तिथि 14 दिसंबर, 2024 को मनाई जा रही है। दत्तात्रेय का शुभ शाम 4 बजकर 58 मिनट से आरंभ होकर 15 दिसंबर, 2024 को दोपहर 2 बजकर 31 मिनट तक चलेगा। इस तरह दत्तात्रेय जयंती 14 दिसंबर 2024 को महिलाए व्रत करेंगी। इस दिन दत्तात्रेय भगवान की पूजा करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।
जयंती की पूजा विधि
दत्तात्रेय जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए। नहाने के बाद व्रत का संकल्प लें। संध्या के समय एक स्वच्छ स्थान पर पटिया रखकर उस पर लाल कपड़ा बिछाएं। अब इस लाल वस्त्र पर भगवान दत्तात्रेय की प्रतिमा को स्थापित करें। इसके बाद भगवान को कुमकुम और चंदन का तिलक लगाए। तिलक लगाने के बाद फूल अर्पित करें। अब मूर्ति के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं। हाथ में फूल लेकर मुट्ठी बांध लें। फूल को मुट्ठी में लेने के बाद मंत्रो का जाप करें।
इस मंत्र का करें जाप
“ऊं अस्य श्री दत्तात्रेय स्तोत्र मंत्रस्य भगवान नारद ऋषि: अनुष्टुप छन्द:, श्री दत्त परमात्मा देवता:, श्री दत्त प्रीत्यर्थे जपे विनोयोग:.” भगवान दत्तात्रेय की पूजा समाप्त पर अबीर, चंदन और अन्य पूजा सामग्री को चढ़ाए। भगवान को मीठे का भोग लगाए। इसके बाद आरती उतारे और “ऊं द्रां दत्तात्रेयाय नम:” मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करना जरुरी होता है।